धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता (FORB) पर फिल्में
यह 8 फिल्मों का सेट यह समझने में आपकी सहायता करेगा कि धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता (FORB) में क्या शामिल है और यह कहां तक सीमित हो सकता है।
The films also give an introduction to the situation for freedom of religion or belief in various parts of the world. You can use the films for personal study or in group trainings, or use scripts of the films to develop the contents of your own talks.
्क्रिप्ट: धर्म या विश्वास की आज़ादी – एक परिचय
आठ प्रस्तुतिय ोंके सेट की यह पहली प्रस्तुति है तिसके द्वारा हम यह
देख रहेहैंतक तिचार, अोंि:करण, धमम या तिश्वास की आज़ादी के मानि
अतधकार मेंक्या शातमल है, और अगर यह सीतमि ह सकिा है, ि
कब। इस सोंतिप्त पररचय में, हम इस तिचार सेशुरू करेंगेतक मानि
अतधकार ोंके िहि कौन या क्या सुरतिि है, और तक धमम या तिश्वास
की आज़ादी हमेंकौन से अतधकार देिी है।
मैंआपसेएक सिाल पूछ कर इसेशुरू करना चाहिा हों!
धमम या तिश्वास की आज़ादी के मानि अतधकार के िहि कौन से धमम
सुरतिि हैं?
क्या आपक लगिा है तक इसमेंतिश्व के प्रमुख धमम शातमल हैं?
या इसमेंसभी धमम हैं, तिनमेंछ टे या असाधारण धमम शातमल हैं?
या शायद इसमेंसभी धममशातमल हैं, और सभी प्रकार के तिश्वास भी?
दरअसल, यह एक चालोंकी भरा सिाल था. र्ैंनेआपसेपूछा तक कौन
से धमम सुरतिि हैं। ल ग अक्सर मानिे हैं तक धमम या तिश्वास
की आज़ादी, धमों और तिश्वास ों की रिा करिी है, लेतकन िास्ति में
ऐसा नहीों है! अन्य सभी मानि अतधकार ों की िरह, धमम या तिश्वास
की आज़ादी ‘ल ग ों की रिा’ करिी है, अपने आप में धमम और
तिश्वास की नहीों.
धमम या तिश्वास की आज़ादी उन ल ग ों की सुरिा करिी हैि अपने
आप क ऐसे धमम के साथ ि ड़िेहैंया उस पर तिश्वास रखिे हैंया
पुराने धमम, नए धमम, देश के पारम्पररक धमम, और ऐसेधममि देश में
पारोंपररक न भी ह ों। ये उन ल ग ों की भी रिा करिा है ि मौतलक
सिाल ों के बारे मेंगैर-धातममक मान्यिा िालेल ग हैं, िैसेतक नास्तस्तक,
मानििातद और शाोंतििादी। चाहे िे तकसी भी देश मेंक्य ों
न रहिे ह ों।
धमम या तिश्वास की आज़ादी ऐसेल ग ों की भी रिा करिी हैि धमम
या तिश्वास की तबल्कु ल परिाह नहीों करिेहैं।
दू सरे शब् ों में, धमम या तिश्वास की आज़ादी हरेक की रिा करिी है!
ि अब हमारे पास तकस िरह की सुरिा या अतधकार हैं? यह
िाननेके तलए हमेंअोंिरराष्ट्रीय मानि अतधकार घ षणाओों और अनुबोंध ों
क देखनेकी ज़रुरि पड़ेगी । इनमेंद सबसेमहत्वपूणम हैं:
सोंयुक्त राष्ट्र के मानि अतधकार ों की सािभोम घ षणा के अनुच्छे द 18
क ,
सोंयुक्त राष्ट्र के नागररक और रािनीतिक अतधकार ों पर अोंिरामष्ट्रीय
अनुबोंध के अनुच्छे द 18 क
िब तक एक ओर सोंयुक्त राष्ट्रघ षणायें, रािनीतिक इराद ों का उल्लेख
करिी हैं, िहीों दू सरी ओर सोंयुक्त राष्ट्र के अनुबोंध और
सम्मेलन कानूनन िौर पर बाध्यकारी हैं। आइए अब हम नागररक और
रािनीतिक अतधकार ों पर अोंिरामष्ट्रीय अनुबोंध के मज़मून क देखें।
अनुच्छे द 18
्रत्येक व्यस्तक्त क तिचार, अोंि:करण और धमम की आज़ादी का
अतधकार ह गा। इस अतधकार के िहि तकसी भी व्यस्तक्त क अपनी
इच्छानुसार और स्विोंत्र ह कर अपना धमम मानने या दू सरा धमम या
तिशिास अपनाने की आज़ादी ह गी, और इसमेंव्यस्तक्तगि रूप या
समुदाय मेंदू सर ों के साथ तमलकर, सािमितनक रूप मेंया तनिी िौर
पर अपनेधममया तिश्वास क आराधना, व्यिहार, तिया और तशिा द्वारा
प्रकट करनेकी आज़ादी भी शातमल ह गी.
2. तकसी क भी ज़ र-ज़बदास्ती का सामना नहीों करना ह गा तिससे
उसकी इच्छानुसार तकसी धमम या तिश्वास क मानने या अपनाने की
उसकी आज़ादी क हातन ह ।
3. तकसी भी धमम या तिश्वास क प्रकट करने की आज़ादी के िल
उन सीमाओ के अधीन ह गी ि कानून द्वारा तनधामररि ह ों, और ि
िन-सुरिा, व्यिस्था, स्वास्थ या नैतिकिा या दू सर ों के मौतलक
अतधकार ों या आज़ादी की रिा के तलए ज़रूरी ह ों ।
4. ि राज्य ि ििममान अनुबोंध बनाने मे भागीदार हैं, िे प्रतिज्ञा करिे
हैंतक उन मािा-तपिाओों, ि िहाों भी उतचि ह , कानूनी अतभभािक ों की
आज़ादी का िेसम्मान करेंगेऔर यह सुतनतिि करेंगेतक उनके बच्च
की धातममक और नैतिक तशिा उनके अपने स्वयों के दृढ़ तिश्वास के
अनुरूप ह ।
िास्ति मे इसका मिलब उन ल ग ों के तलये क्या है तिन्हे
सुरिा तमली है? हमारे पास क्या अतधकार हैं? मैंसाि तिषय ों क
पेश करना चाहिा हों ि धमम और तिश्वास के सोंबोंध मेंअोंिरराष्ट्रीय
कानून द्वारा प्रदान तकए गए अतधकार ों क उिागर करिेहैं:
पहलेद तिषय धमम या तिश्वास की आज़ादी के अतधकार के कें द्र का
प्रिीक हैं:
• धमम या तिश्वास क मानने, चुनने, बदलने या छ ड़ने
की आज़ादी
• धमम या तिश्वास क माननेया प्रकट करनेकी आज़ादी ।
• इनके इलािा हमेंज़ र-ज़बदास्ती से सुरिा का अतधकार
है, और
• धमम या तिश्वास के मामल ों मेंभेदभाि सेसुरिा,
• धममऔर तिश्वास के प्रति मािा-तपिा और बच्च ों के अतधकार
• और तििेकशील आपति करनेका अतधकार।
धममया तिश्वास की आज़ादी का एक महत्वपूणमित्व यह भी हैतक प्रदान
तकए गए अतधकार ों क अगर सीतमि तकया िा सकिा है, ि क्य ोंऔर
कब।
िेबसाइट पर आपक इन तिषय ों में से प्रत्येक पर एक
तिल्म तमलेगी, तिसमें गहराई से पिा चलेगा तक िास्ति
मेंअतधकार ोंका क्या मिलब है।
Copyright: SMC 2018
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स्क्रिप्ट: धर्मया विश्वास की आज़ादी : अपने धर्मया विश्वास को
र्ाननेया बदलनेका अवधकार
धर्म या विश्वास की आज़ादी की पहली बुवियादी बात यह है
वक आपको अपिे धर्म या विश्वास को स्वतंत्र रूप से
र्ाििे, रखिे, बदलिे या छोड़िे का अवधकार है।
यह आपकी व्यक्तिगत आस्थाओं के बारे र्ेंहै, और इसेधर्म या विश्वास
की आज़ादी के अंदरूिी आयार् के रूप र्ेंजािा जाता है। अपिेधर्म
या विश्वासों को र्ाििे या बदलिे का अवधकार एक पूर्मअवधकार
है, वजसका अथमयह हैवक अंतरराष्ट्रीय कािूि के अिुसार, इस अवधकार
को कभी भी सीवर्त िही ं वकया जा सकता। चाहेंआप
ईसाई, र्ुसलर्ाि, बहाई, येवजदी या िाक्तिक ही क्ों ि हों, भले ही
आप वसंगापुर, स्वीडि या सूडाि र्ें रहते हों, चाहेिहां शांवत हो या
युद्ध हो, धावर्मक या राजिीवतक िेता चाहेंकु छ भी कहें- आप
और हरेक व्यक्ति
को अपिेविश्वासोंको रखिेऔर देखभाल करिेका अवधकार या
उन्हेंबदलिेया विर एक अविश्वासी बििेका भी अवधकार है।
बेशक कई लोगों को इस असीर् अवधकार सेिंवचत वकया जाता है, और
उिके धर्म या विश्वास के कारर्, सरकारों द्वारा, पररिार के सदस्ों
द्वारा या उिके सर्ुदाय के सर्ूहों द्वारा उन्हेदंवडत या उि पर हर्ला
वकया जाता है।
विशेष धर्ों या विश्वासों पर कु छ सरकारेंरोक लगाती हैं। िालुि गोंग
एक रूप हैबौद्ध विश्वास का, वजसेचीि र्ेंप्रवतबंवधत वकया गया है।
िालुि गोंग धर्मर्ाििेिालो को कारािास, यातिा, बेगारी से प्रतावड़त
वकया जाता है, और विर सेवशक्षा भी लेिी पड़ती है, वजसका र्ूल
र्कसद हैवक उन्हेंअपिेविश्वास को त्यागिेके वलए र्जबूर वकया जा
सके ।
एररवरर या र्ें, के िल चार धर्म हैं, वजिको राज्य की र्ान्यता प्राप्त है, और
जो लोग अर्ान्यता प्राप्त धर्मके अिुयायी हैं, जैसेपेंरेकोस्टल ईसाई और
यहोिा विर्िेस, उिको विवभन्न तौर-तरीकों सेकठोर दंड वदया जाता है।
धर्म या विश्वास र्ाििेके अवधकार के उल्लंघि का एक और सूक्ष्म
उदाहरर् ििरत अपराध हैं, जहां वहंसा के पीवड़तों को उिकी धावर्मक
पहचाि या विश्वास के कारर् विशिा बिाया जाता है। उि पर हर्ला
वकया जाता हैक्ोंवक िेवकसी विशेष धर्म या विश्वास को र्ाितेहै।
फ्ांस र्ेंििरत अपराधों र्ें, जैसेवक सि 2015 र्ें र्ुसलर्ािों
पर हर्ले, उत्पीड़ि या
अपरावधक िुक्साि
र्ें250% िृक्तद्ध हुई, वजसर्ें336 घरिाएं दजम की गईं। और यहूदी
सर्ुदाय के प्रवत ििरत अपराधों का िर उंचा वजसर्ें715 ििरत
अपराध दजम वकयेगये।
र्ैक्तक्सको के कु छ ग्रार्ीर् इलाकोंर्ेंप्रोरेस्टेंर ईसाईयो को वहंसा का
विशािा बिाया जा रहा हैया उिकी जर्ीि सेउन्हेखदेड़ा जा रहा
है, ऐसेसर्ुदाय के अगुिों द्वारा जो परंपरागत और
कै थोवलक ईसाई धवर्मकता को बरकरार रखिा चाहतेहैं।
कई देशों र्ें, धावर्मक पहचाि, राष्ट्रीय पहचाि और राज्य की
पहचाि आपस र्ेंसेएक दू सरे के साथ जुडी हुई हैं। ऐसी
पररक्तस्थवतयों र्ें, धावर्मक अल्पसंख्यक और बहुर्त धर्म छोड़िेिाले
लोगों को, वजसर्ेंिाक्तिक शावर्ल हैं, राष्ट्र के प्रवत बेिफा र्ािा जा
सकता है, या यहां तक वक उन्हेराष्ट्रीय सुरक्षा के वलए खतरा भी
र्ािा जा सकता है।
धर्म या विश्वास त्यागिेके असीर् अवधकार को अक्सर अंदेखा वकया
जाता है।
इंडोिेवशया र्ें धर्म की आज़ादी के कािूि तो हैं, हालांवक ये कािूि
के िल कु छ धर्ों के र्ाििेिालोंकी ही रक्षा करते
हैं: जैसेकी इस्लार्, कै थोवलक और प्रोरेस्टेंर ईसाई धर्म, बौद्ध
धर्म, कन्फ्यूवशिाद और वहंदू धर्म। इसर्ेंिाक्तिक धर्म संरवक्षत िही
है। 30 साल की उम्र के एलेक्स आयि िे, जो र्ुक्तस्लर् पृष्ठभूवर् के
हैं, ”भगिाि र्ौजूद िही ं है” वलखिे और िे सबुक पर िाक्तिक पृष्ठ
शुरू करिे के वलये2½ साल की जेल
की सज़ा कारी और 11,000 अर्ेररकी डॉलर का जुर्ामिा भरा ।
आयि पर धावर्मक िफरत या बैर िै लािे की िीयत
सेजािकारी प्रसाररत करिेका आरोप लगाया गया था, वजसिे इंररिेर
पर ईश्वर विंदा विषयक एक संदेश िै लाया था, और दू सरों को
िाक्तिकता अपिािेके वलए आर्ंवत्रत वकया था। अपिे िे सबुक पेज
पर सािमजविक र्ाफी पोस्ट करिे के बािजूद, आयि को गुस्सैल लोगों
िेपीरा और उसके सर्ुदाय िेउसेछोड़ वदया।
ईराि र्ें, इस्लार् से ईसाई धर्म र्ेंपररिवतमत होिेपर कठोर दंड का
सार्िा करिा पड़ सकता है, खासकर यवद िेवबिा रवजस्टर ी िालेघरों
से संचावलत वगरजों र्ेंशावर्ल हों। जुलाई 2017 र्ें धर्म पररितमि
के कारर् ”राष्ट्रीय सुरक्षा के क्तखलाि सवियता” के आरोप र्ें
चार लोगोंको 10 साल की कारािास की सज़ा सुिाई गई थी। उिर्ेंसे
तीि को कम्युवियि िाइि पीिेके वलए 80 कोडेलगायेजािेकी पहले
ही सज़ा सुिाई जा चुकी थी, क्ोंवक सरकार अब भी
उन्हेंर्ुसलर्ाि र्ािती है, और ईराि र्ेंर्ुसलर्ािों के वलए िाइि पीिा
अिैध है।
अक्सर राजिीवतक और धावर्मक िेता पवित्र ग्रंथों या धावर्मक
कािूिी परंपराओं के बारे र्ेंखुद अपिी व्याख्याओं का उपयोग बहुर्त
धर्म को छोड़िे, या वकसी विशेष सर्ुह के सद् स् होिे के वलये दंड
देिेऔर प्रवतबंध लगािेको न्यायसंगत ठहरािेके वलये करतेहैं। दंड
र्ेंर्ृत्युदंड, कारािास, रोज़गार खोिा या शादी तोड़िेसेलेकर बच्ों के
लालि-पालि का हक खोिा तक शावर्ल हो सकता है। सऊदी अरब
और पावकिाि सर्ेत र्ुक्तस्लर् बहुर्त िालेकई देशों र्ेंइस्लार् छोड़िे
के अवधकार पर ऐसी कािूिी बंवदशें र्ौजूद हैं। हालांवक इसे रालिा
असंभि िही ं है। उदाहरर् के
वलए, वसएरा वलयोि र्ेंर्ुसलर्ािोंकी लगभग 70% आबादी है, और ईसा
ईयों की 20% है. जबवक यहां धर्म बहुत ही सािमजविक है, विर भी इसका राजिीवतकरर् िही ं है; और ऐसे हालात र्ेंदोिोंसर्ुदायोंके
बीच आपस र्ेधर्मपररितमि एक आर् बात है।
इस तरह की सर्स्ाएं के िल र्ुक्तस्लर् बहुर्त िालेदेशों तक ही सीवर्त
िही ं हैं। र्ध्य अफ़्रीकी गर्राज्य के कु छ वहस्सों र्ें, तथाकवथत एं री-
बालाका वर्वलवशया िे र्ुक्तस्लर् अल्पसंख्यक सदस्ों को ईसाई धर्म
अपिािेपर र्जबूर करिेके वलए र्ौत की धर्की तक का प्रयोग वकया
है। और भारत के कई राज्यों र्ेंधर्म पररितमि के अवधकार को
प्रवतबंवधत करिेका कािूि है, उदाहरर् के वलए जो धर्मपररितमि करिा
चाहते हैंउन्हेसरकारी एजेंवसयों से अिुर्वत र्ांगिी पड्ती हैं।
के िल सरकारेंही िही ं हैं जो इस आवधकार का उल्लंघि करती हैं।
भारत र्ेंवहंसा के गंभीर प्रकोप भी हुए हैं, वजिर्ेंवहंदू राष्ट्रिादी सर्ूहों
िे ईसाई और र्ुक्तस्लर् सर्ुदायों पर हर्ले वकये हैं। कभी-कभी
वहंसा की धर्की देकर पुि: धर्म-पररितमि करिे को भी र्जबूर
वकया गया है। कई र्ार्लों र्ें, वहंसा सेविस्थावपत लोगों को अपिेघरों
र्ेंिापस लौरिे की अिुर्वत देिे से पहलेउन्हे धर्म-पररितमि के वलए
र्जबूर वकया गया है।
ि के िल धावर्मक लोग ही अके ले सर्स्ाओं का सार्िा कर रहे हैं।
जो लोग धावर्मक विचारों की आलोचिा करते हैंया विर धर्म और
राज्य के बीच संबंधोंकी, िे भी बड़े खतरे का सार्िा कर सकते हैं।
हाल ही के िषों र्ें बांग्लादेश र्ें, धावर्मक विचारों और प्रथाओं और
राज्य की आलोचिा करिेिालेकई ब्लॉगसम की अवतिादी सर्ूहों
द्वारा हत्या कर दी गई। अिसोस की बात तो यह है वक इि
वहंसक अवतिादी सर्ूहों को रोकिेके प्रयास र्ेंबांग्लादेश सरकार अभी
तक सिल िही ंहुई है। धावर्मक विचारों की आलोचिा करिेिालेलोगों
पर हर्लों की विंदा करिे र्ेंकु छ सरकारेंवििल रही हैं। यह र्ौि
एक संदेश भेजता है वक वहंसा उवचत और स्वीकायम है।
धर्म या विश्वास को बदलिे की आज़ादी, अंतरराष्ट्रीय िर पर
बहुत ही वििादास्पद है। दरअसल, जब भी संयुि राष्ट्र के सदस् राष्ट्र
एक िए सम्मेलि या घोषर्ा पर सहर्त हुए हैंतो धर्मपररितमि का
अवधकार और भी अवधक कर्जोर भाषा र्ेंव्यि वकया गया है।
लेवकि, अगर भाषा कर्जोर भी हो जाती है, संयुि राष्ट्र र्ाििावधकार
सवर्वत — वजसका कार् िागररकों और राजिीवतक अवधकारों
पर अिुबंध की व्याख्या करिे के तौर-तरीकोंपर देशों को सलाह देिा
है– िेकहा है वक ”धर्म या विश्वास को र्ाििे और अपिािे
की आज़ादी वकसी धर्म या विश्वास को चुििे की आज़ादी र्ें शावर्ल
है, वजसर्ेंवकसी के र्ौजूदा धर्म या वकसी अन्य के साथ विश्वास को
बदलिे या िाक्तिक विचारों को अपिािे, साथ ही वकसी के धर्म या
विश्वास को बिाए रखिेका अवधकार शावर्ल है।”
संक्षेप र्ें- अपिे धर्म या विश्वास को र्ाििेया बदलिे का
अवधकार असीर् है। इसेवकसी भी पररक्तस्थवत र्ें सीवर्त िही ंवकया
जा सकता है। वफर भी कु छ सरकारेंइस अवधकार को सीवर्त करती
हैं, और ऐसेकई र्ार्लेहैंवजिर्ेंधर्मया विश्वासों को र्ाििेया बदलिे
के कारर् सर्ाज र्ेंपररिारोंया सर्ूहोंिे विवभन्न तरीकों से लोगों को
दंवडत वकया है।
धर्म या विश्वास को र्ाििेऔर बदलिे के अवधकार के बारे र्ेंआप
अवधक जािकारी हर्ारे िेबसाइर पर प्रवशक्षर् सार्ग्री र्ेंदेख सकते
हैं, वजिर्ेंिेसभी र्ािि अवधकार दिािेज़ शावर्ल हैं, वजिका वज़ि
यहां वकया गया है।
Copyright: SMC 2018
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स्क्रिप्ट: धर्म या विशिास की आज़ादी की विषय-सूची
: धर्म और विश्वास प्रकट करनेका अवधकार
धर्म या विश्वास की आज़ादी का दू सरा र्ूल तत्व यह
हैवक आप अपनेविश्वास को प्रकट कर सकते हैं,
चाहेंधावर्मक विक्षा द्वारा, अर्ल र्ें लाकर, आराधना द्वारा और अपने
धर्मका पालन करके । इसे धर्म या विश्वास की आज़ादी के
बाहरी आयार् के रूप र्ेंजाना जाता है। धर्म या विश्वास को र्ानने
या बदलने के विपरीत, इसे प्रकट करने का अवधकार परर् नही ीं है।
कु छ पररस्थिवतयोीं र्ेंये अवधकार सीवर्त हो सकता है।
प्रकट करने का र्तलब हैवक अपनी धावर्मक श्रध्दा या विश्वास
को आप िब्ोीं और कायों र्ें व्यक्त कर सकते हैं। अींतरामष्ट्रीय
र्ानि अवधकार कानून लोगोीं को सािमजवनक रूप से या वनजी तौर
पर, अके लेया दू सरोीं के साि वर्लकर ऐसा करनेका अवधकार प्रदान
करता है।
आप वनजी तौर पर प्रािमना करनेके वलए, और एक सर्ुदाय के वहस्सेके
रूप र्ेंअपनेधर्मया विश्वास को व्यक्त करनेके हकदार हैं, सार्ूवहक
आराधना और परींपराओीं के साि।
और उस सर्ुदाय को अवधकार भी
हैं– अपनेसदस्ोींपर अवधकार नही ीं, बस्ि राज्य के सींबींध र्ेंअवधकार।
इनर्ेंसबसेअहर्् बात यह है वक राज्य को यह सुवनवित करना होगा
वक िेधावर्मक और विश्वास सर्ुदाय जो कानूनी पहचान हावसल करना
चाहते हैं, ऐसा कर सकें, तावक िे बैंक खाते खोल सकें, लोगोीं
को रोज़गार दे सकें, इर्ारतोीं पर र्ालकाना हक्क
और सींथिानोींको सींचावलत कर सकें ।
व्यस्क्तयोीं और सर्ूहोींको धर्म या विश्वास को अर्ल र्ेंलानेया प्रकट
करने के अनेक तरीके हैं, और सींयुक्त राष्ट्र के वििेषज्ोीं
नेऐसी गवतविवधयोीं के कई उदाहरण वदए हैं, जो सींरवक्षत हैं:
– आराधना के वलए एक साि आना, त्यौहारोीं को र्नाना और
विश्रार्
वदनो का पालन करना।
– धावर्मक कपडे पहनना और वििेष आहार का पालन करना।
– आराधना और कविस्तान के वलए वििेष थिान रखना, और
धावर्मक
प्रतीकोींको प्रदविमत करना।
– सर्ाज र्ेंएक भूवर्का वनभाना, उदाहरण के
वलए दानिील सींगठन
बना कर।
– धर्म या विश्वास के बारे र्ें बातचीत करना, विक्षा देना, और
अगुओीं को प्रविवक्षत ि वनयुक्त करना।
– अपनेविश्वास के बारे र्ेंवलखना, प्रकावित और प्रसाररत करना
– और राष्ट्रीय एिीं अींतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वास के र्ुद्ोींका सींचार
करना।
– आप स्वैस्िक दान भी एकत्र कर सकतेहैं।
अब आप येकह रहेहोींगेवक यह तो बहुत ही अिा है– इसी तरह के
अवधकार तो र्ैंअपनेसर्ुदाय के वलए चाहता हीं !
साि ही, आप परेिान भी हो रहेहोींगे! उन सर्ूहोीं के बारे र्ेंक्या, जो
अपने सदस्ोीं को दबातेऔर वनयींवत्रत करते हैं, या दू सरोींके
प्रवत नफरत या वहींसा का बढािा देते हैं? क्या उन्हेभी अपने विश्वास
को र्ाननेऔर उसका प्रसार करनेकी आज़ादी है?
र्ैंइसके वलए दो प्रवतवियायेंदेना चाहता हीं:
नागररक और राजनीवतक अवधकारोीं पर अींतरामष्ट्रीय अनुबींध के अनुिे द
5 के अनुसार वकसी भी अवधकार का उपयोग अन्य अवधकारोीं को नष्ट्
करनेके वलए प्रवतबींवधत है। इसवलए धर्म या विश्वास की आज़ादी वकसी
3
राज्य, वकसी व्यस्क्त या सर्ूदाय को अनुर्वत नही ीं देती है वक िेलोगोीं
को दबाने, वहींसा को उत्तेवजत करने या वहींसक कायों को अींजार् देने
का कार् करें।
बेिक बहुत सारी सरकारेंऔर सर्ूह बल या दर्न का उपयोग करते
हैं। लेवकन धर्म या विश्वास की आज़ादी उन्हेंऐसा करने का अवधकार
नही ीं देती है। इसके विपरीत, दर्न और वहींसा से प्रभावित लोगोीं की
रक्षा करनेके वलए ही यह र्ौजूद है।
दू सरा, हालाींवक अपनेविश्वास को र्ाननेऔर चुननेका अवधकार सीवर्त
नही ींवकया जा सकता है, वफर भी वकसी धर्म या विश्वास को प्रकट
करने या उसे अर्ल र्ें लाने के अवधकार को सीवर्त वकया जा
सकता है। लेवकन अनुिे द 18 र्ेंयह स्पष्ट् हैवक यह केिल तभी हो
सकता हैजब चार वनयर्ोीं का पालन वकया जाए:
कानून के अींतगमत ही सीर्ा को वनधामररत वकया जाना है, जो अन्य लोगोीं
की रक्षा करने के वलए ज़रूरी हो, गैर-भेदभािपूणम हो, और उस
सर्स्ा के अनुपात के अनुरूप वजसेिह सींबोवधत करना चाहता है।
येवनयर् िास्ति र्ेंर्हत्वपूणम हैं। वजनके वबना, सरकारें वकसी भी और
हरेक सर्ूह को सीवर्त कर सकती हैं, वजनको िेपसींद नही ीं करती हैं।
सीर्ाएीं अींवतर् उपाय के तौर पर होनी चावहए, न वक राज्य वनयींत्रण के
वलए एक हवियार। अफसोस की बात है वक कई सरकारेंइन वनयर्ोीं
को अनदेखा करती हैं, और धर्मप्रकट करने के अवधकार पर राज्य
उल्लींघन के अनवगनत उदाहरण र्ौजूद हैं।
पींजीकरण पर प्रवतबींधक कानून एक बडी सर्स्ा है। कु छ
सरकारें, पींजीकरण को अवनिायमकर देती हैं, और धर्म या विश्वास
को प्रकट करनेके अवधकार पर पींजीकरण की ितमलगा देती हैं। इस
से अींतरराष्ट्रीय कानून का उल्लींघन होता है। धर्मप्रकट
करनेके अवधकार के वलये पींजीकरण कभी भी पूिम ितम नही ीं होना
चावहए। पींजीकरण तो के िल उन सर्ुदायोीं को कानूनी व्यस्क्तत्व प्रदान
करनेके वलए होना चावहए, जो ऐसा चाहतेहैं।
अक्सर िो राज्य जो गैर-पींजीकृ त धावर्मक अवभव्यस्क्त पर प्रवतबींध
लगातेहैं, िे ऐसेप्रवतबींवधत कानूनोीं का भी इस्तर्ाल करते हैंजो
सर्ूहोींके पींजीकरण की क्षर्ता को भी सीवर्त करते हैं। उदाहरण के
वलए कजावकस्तान र्ेंगैर-पींजीकृ त धावर्मक गवतविवध पर पाबन्दी लगाईीं
गई हैं, और कई सर्ूहोीं को पींजीकरण नही ीं वदया गया है। अपनेधावर्मक
सर्ुदाय के बाहर वकसी और के साि धर्म के बारे र्ेंबात करना भी
गैर-कानूनी है, और सभी धावर्मक सावहत्य को उपयोग से पहले सेंसर
वकया जाना अवनिायम है। यह सभी धावर्मक सर्ुदायोीं को प्रभावित
करता है।
सरकारें विवभन्न तरीकोीं से धावर्मक कायमको प्रवतबींवधत करती हैं।
वियतनार्ी सरकार होआ-हाओ बौद्ोीं को अपने एकर्ात्र पगोडा तक
पहुींचने से रोकने के वलए चेक पॉइींट का उपयोग करती है। सऊदी
अरब र्ें, सािमजवनक गैर-र्ुस्िर् आराधना हरार् है, और आराधना के
वलए एकवत्रत सभाओीं पर छापे र्ारकर कु छ प्रिासी र्ज़दू रोींको
वगरफ्तार कर वनिामवसत वकया गया है। और चीन और इींडोनेविया के
कु छ वहस्सोीं र्ें, चचम भिनोीं को अवधकाररयोीं द्वारा ध्वस्त कर वदया
गया।
अवतिाद पर रूसी कानूनोीं के तहत हज़ारोींप्रकािनोीं पर पाबींदी लगा दी
गई है, उनर्े िे भी िावर्ल है जो िाींवतपूणमढींग से धावर्मक विश्वास
को पेि करतेहैं। येजानना लगभग असम्भि हैवक कौन सा प्रकािन
प्रवतबींधत है, लेवकन कब्ज़ेके फलस्वरूप जुर्ामना, कारािास या धावर्मक
सर्ुदायोीं पर प्रवतबींध लगाया जा सकता है। कौन सेधावर्मक विश्वास का
प्रचार कहाीं, कै सेऔर वकस के द्वारा वकया जा सकता
है, उस पर भी कठोर प्रवतबींध लगेहैं।
फ्ाींस र्ेंकु छ िहर के र्हापौरोीं ने बुवकम नी पर प्रवतबींध लगाने की
कोविि की, जो एक तैराकी पोिाक है वजसेचेहरे को छोड्कर सारे
िरीर को ढींकनेके वलए पहना जाता है, सािमजवनक अनुिासन को ध्यान
र्े रखकर । इस कानून को उच्चतर् प्रिासवनक अदालत द्वारा रद् कर
वदया गया िा, लेवकन आपके चेहरे को ढींकनेिाले कपडे पहनने पर
प्रवतबींध अभी भी लागू है। और कु छ यूरोपीय देिोीं र्ें, हलाल और
कोिेर पिुिध पर प्रवतबींध लगा वदया गया है।
सर्ाज र्ेंकई लोगोीं और सर्ूहोीं के विया-कलापोीं के चलते भी धर्म
को प्रकट करने के अवधकार सीवर्त हैं. 9 यूरोपीय देिोीं र्ें5000 से
अवधक यहवदयोीं के एक सिेक्षण र्ें, 22% ने कहा वक िे अपनेस्वयीं
की सुरक्षा के डर के कारण वकपा जैसे धावर्मक कपडे पहनने से
कतरातेहैं। और कई देिोीं र्ें, यहदी कविस्तानोीं को अपवित्र वकया गया
है।
वर्स्र, पावकस्तान और नाइजीररया जैसेदेिोींके कु छ वहस्सोीं र्ें, लोग
इिार् के नार् पर वहींसा करनेिालेआतींकिादी सर्ूहोीं द्वारा हर्लोीं
के डर सेआराधना थिल र्ेंजानेसेडरतेहैं। र्ध्य अफ्ीकी
गणराज्य के कु छ वहस्सोीं र्ें, सार्ूवहक िुििार प्रािमनाएीं
करना असींभि हैं, र्ुसलर्ानोीं को वनिाना बनानेिालेवर्वलविया के
हर्लोीं के जोस्खर् के कारण.
सींक्षेप र्ें, धर्म या विश्वास को प्रकट करने की आज़ादी, व्यस्क्तयोीं और
सर्ूहोीं दोनोीं के अवधकारोीं और विश्वासोीं की रक्षा करती हैतावक िे
अपने धर्मया विििास को िब्ो और कर्ों र्ेंव्यक्त कर सकें । इसे
वनजी और सािमजवनक रूप से वकया जा सकता है।
र्ानि अवधकार दस्तािेजोीं र्ेंअनेक प्रकार की
प्रिाओीं के उदाहरण वर्लतेहैं, और सर्ूहोींके वलए इनर्ें से
सबसेर्हत्वपूणमसुरक्षा है – कानूनी पहचान का अवधकार।
धर्म या विश्वास को प्रकट करनेका अवधकार सीवर्त हो सकता
है, लेवकन तभी जब वक वनयर्ो के एक सख्त सर्ूह का पालन वकया
जाय, यह दिामतेहुए वक सीर्ा कानूनी है, अन्य लोगोीं की रक्षा के वलए
आिश्यक है, गैर-भेदभािपूणमहै, और उस सर्स्ा के अनुपात र्ें है
वजससेउसेवनपटना है.
अफसोस की बात है, वक दुवनया भर र्ेंकई सरकारें इन वनयर्ोीं का
पालन नही ीं करती हैं। सरकारोीं और सर्ाज के सर्ूहोीं द्वारा धर्म या
विश्वास को प्रकट करनेके अवधकार का उल्लींघन वकया जाता है।
धर्म या विश्वास को प्रकट करने के अवधकार के बारे र्ेंआप अवधक
जानकारी हर्ारे िेबसाइट पर प्रविक्षण सार्ग्री र्ेंदेख सकतेहैं, वजनर्ें
िे सभी र्ानि अवधकार दस्तािेज़ िावर्ल हैं, वजनका वज़ि यहाीं वकया
गया ह
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स्क्रिप्ट: धर्म या विश्वास की आज़ादी
की विषय सूवि – दबाि सेसुरक्षा
धर्म या विश्वास की आज़ादी का एक अहर्् पहलूहै — दबाि से सुरक्षा
का अवधकार । दबाि तब होता हैजब कोई आपसेकु छ कार् करिाने
के वलए बल या धर्की का उपयोग करता है।
धर्म या विश्वास की आज़ादी का एक र्ूल आयार् यह है वक हर वकसी
को अपनेधर्म या विश्वास को र्ाननेया बदलनेका अवधकार है। इसे
दू सरे ढंग से कहा जा सकता हैवक धर्म या विश्वास और
उनकी अविव्यक्ति स्वैक्तिक है।
दबाि से सुरक्षा के अवधकार का विस्तार इन बातों पर वनिमर करता
है। कोई िी नहीं, न तो राज्य, न धावर्मक नेता या अन्य कोई व्यक्ति या
सर्ूह, अपने विश्वासों या प्रथाओं को दू सरोंपर थोपनेका
अवधकार रखता है। उनका धर्मया विश्वास रखने,र्ाननेया बदलनेको न
ही उन्हेर्जबूर करे।
नागररक और राजनीवतक अवधकारों पर अंतरामष्ट्रीय अनुबंध, अनुिे द
18 पैरा 2
“वकसी के ऊपर ऐसा दबाि नहीं डाला जाएगा वजससेउसको
अपनी इिानुसार वकसी धर्म या विश्वास को र्ाननेया अपनाने
की आज़ादी सेिंवित वकया जाये।“
यह आयार् न के िल राज्यों को लोगो पर दबाि डालनेसे रोकता है,
लेवकन िह राज्योंको यह कतमव्य िी स ंपता हैवक िह लोगों को ऐसी
धर्वकयों ि् वहंसा सेसुरक्षा प्रदान करे, जो उन्हेंसर्ाज के दू सरे
लोगों या सर्ूहों सेवर्लती है.
विर िी, दुवनया िर र्ेंदबाि के तर्ार् उदहारण हर्ेंदेखनेको
वर्लतेहैंजो धर्वकयों, वहंसा या दंड के रूप र्ेंहोतेहैं, जैसे
की जुर्ामना या कारािास. दबाि कािी जविल िी हो सकतेहैं, जैसेकी
2
धर्म पररितमन के बदलेर्ेंन कररयोंकी पेशकश करना या
अगर िेअपना धर्म छोड्तेहैंया कोई और धर्म या विश्वास अपनाने
सेइंकार करतेहैं, तो उन्हेस्वास्थ्य और वशक्षा की सािमजावनक सुविधा
सेिंवित करना.
किी-किी राज्य िी दबाि बनानेर्ेंहािी होता है, िाहें
तो सरकारी त र पर कानून बनाकर या स्थानीय स्तर पर उच्च
अवधकाररयो की कायमिाही के ज़ररए।
बहाई सर्ुदाय ईरान र्ें सबसे बडा गैर-र्ुक्तिर् धावर्मक
अल्पसंख्यक सर्ुदाय है।
1 9 7 9 की क्ांवत के बाद से, बहाई सर्ुदाय को इिार् धर्म अपनाने
के वलए र्जबूर करने के प्रयास र्ें सरकारी नीवत के
िलतेउन्हेंसुवनयोवजत तरीके से सताया गया। क्ांवत के
बाद के 10 िर्षों के द रान, 200 से अवधक बहाई लोगों को
र्ार डाला गया, सैकडों को यातना दी गई या विर कै द कर वदया
गया, और हजारों-हज़ार न कररयां खो बैठे, वशक्षा और अन्य अवधकार से
िंवित हो गए, िह िी र्हज़ अपनेधावर्मक विशास के कारण।
वदसंबर 2017 तक, छह राष्ट्रीय स्तर के बहाई नेताओं सवहत 97 बहाई
अपनेवििेक के कारण ईरान र्ेंकै द थे.
यह उदाहरण िेदिाि और दबाि के बीि के संबंध को दशामता है।
ईरान र्ें बहाई लोगोंको विश्वविद्यालय र्ेंपढ़ने और वसविल सेिा
र्ेंरोज़गार से प्रवतबंवधत वकया गया है। यह
िेदिाि िाला कानून एक दबाि ही है। यह पता िलनेपर वक कोई छात्र
या कर्मिारी बहाई सर्ुदाय का है, तो उसके पास इिार् धर्म अपनाने
या पद गिानेके वसिा और कोई विकल्प नहीं होता ।
किी-किी वहंसक राष्ट्रिादी या िरर्पंथी सर्ूह, लोगोंपर अपनेधर्म या
विश्वासों को बदलने के वलए दबाि डालते हैं। तथाकवथत इिार्ी
राज्य, दाएश ने यज़ीदी और ईसाइयों दोनों को धर्म बदलने के वलए
र्जबूर वकया, और इनकार करनेिालोंकी हत्या कर दी।
जब वक िारत र्ें, वहंदू धर्म र्ेंबलपूिमक धर्म पररितमन को
वहन्दूराष्ट्रिावदयोंकी सांप्रदावयक वहंसा के वसलवसले र्ेंदस्तािेज़ वकया
3
गया है। म्ांर्ार र्ें, सेना द्वारा बंदू क की नोक पर ईसाईयों को अपने
विश्वास से अपने आप को िंवित करने और र्जबूरन ब द्ध
धर्मअपनानेके कई र्ार्ले हैं, जो दस्तािेजों र्ें दजम हैं। और र्ध्य
अफ़्रीकी गणराज्य के कु छ वहस्ों र्ें, र्ुसलर्ानों को िी गोली र्ारने
की धर्की दी गई है, अगर िेईसाई धर्मको नहींअपनातेहैं।
यद्यवप दबाि पर प्रवतबंध औपिाररक रूप सेलोगों के धर्म या विश्वास
को र्ानने, अपनाने या बदलने की क्षर्ता पर लागूहोता है, विर िी
कई लोगों नेधर्मपालन के संबंध र्ेंराज्य और सार्ावजक दबाि का
अनुिि वकया है। एक र्ुद्दा जो इस दबाि को दशामता है, िह र्वहलाओं
के पहरािे से सम्बंवधत है। कु छ देशों र्ेंकानूनी त र सेर्वहलाओं को
धावर्मक कपडे पहनना ज़रूरी है, जबवक दू सरेदेशो र्ेंर्वहलाओं को
ऐसा करनेपर पाबंदी है। अगर र्वहला अपने धवर्मक कपडे
पहनती हैंतो उन्हेंदू सरे सर्ुदाय के लोग सताते है, और अगर धवर्मक
कपडे नहीं पहनती हैं, तो उनके सर्ुदाय के लोग उन्हेंसताते हैं।
अनेक प्रकार के लोग दबाि सेप्रिावित हो सकतेहैं।
कई देशों र्ें, वजनके धावर्मक वििार या परंपरा राज्य वििारधारा सेया
सार्ावजक र्ापदंड से विन्न होते हैं, िे दबाि से प्रिावित होते हैं।
अल्पसंख्यक, नाक्तस्तक, नए विश्वासी या वजस धर्म को स्थानीय धर्म र्ें
विदेशी र्ाना जाता है उसको र्ानने िाले अक्सर प्रिावित होते हैं।
और धावर्मक सर्ूहों के िीतर, वजन लोगों को विद्रोही, ईश्वर वनंदा करने
िालेर्ाना जाता हैऔर िह लोग वजन के प्रवत यह धारणा की जाती
हैवक िह अपनेधर्म की आराधाना सही प्रकार सेकरनेर्ेंअसिल हैं,
उन पर दबाि का असर हो सकता है तावक िे अपने विश्वास और
प्रथाओ को बदलने के वलए र्जबूर हो जायं; ऐसा दबाि राज्य, उनके
पररिार या सर्ुदाय सेआ सकता है।
संक्षेप र्ें, दबाि र्ेंधर्वकयां, वहंसा, िेदिाि या जुर्ामना या कारािास
जैसे दंड शावर्ल हो सकते हैं, और ये दबाि राज्य से, या सर्ुदाय र्ें
लोगों और सर्ूहों सेआ सकता है। यह कहकर वक कोई िी दबाि
के अधीन नहीं होगा, अंतरराष्ट्रीय र्ानि अवधकार कानून न के िल
लोगोंपर दबाि लानेसे राज्योंको रोकता है, बक्ति यह राज्यों को
4
प्रिािी रूप से लोगों की रक्षा करने का कतमव्य िी देता है, वजस से
सर्ाज र्ेंदबाि को रोका और थार्ा जा सके ।
दबाि से सुरक्षा के बारे र्ेंआप अवधक जानकारी हर्ारे
िेबसाइि पर प्रवशक्षण सार्ग्री र्ेंदेख सकते हैं, वजनर्ेंिे सिी र्ानि
अवधकार दस्तािेज़ शावर्ल हैं, वजनका वज़क् यहां वकया गया है
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स्क्रिप्ट: धर्म या विश्वास की आज़ादी
की विषय सूवि – भेदभाि सेसुरक्षा
एक ऐसा अधिकार धिसका िर्म या धिश्वास की आज़ादी से बहुत
धिकट का संबंि है, िह भेदभाि से सुरक्षा का अधिकार है। भेदभाि
तब होता हैिब कु छ लोगों के साथ दू सरों की तुलिा र्ेंअच्छा व्यिहार
िही ं धकया िाता हैक्ोंधक िेदू सरे लोगो से अलग हैं।
अंतरराष्ट्रीय र्ािि अधिकार कािूि के अंतगमत र्ुख्य धियर्ों र्ेंसेएक
धियर् यह है धक राज्ों को, िर्म या धिश्वास सधहत धकसी भी आिार
पर भेदभाि करिे की अिुर्धत िही ं है। िागररक और राििीधतक
अधिकारों पर अंतरामष्ट्रीय अिुबंि अिुच्छे द 2 और र्ािि अधिकारों की
सािमभौधर्क घोषणा इस अधिकार की व्याख्या करती है।
आई.सी.सी.पी.आर. अिुच्छे द 2, पैराग्राफ 1
प्रतेक राज् िो ितमर्ाि अिुबंि का सहभागी है, यह िचि देता हैधक िे
अपिेछे त्र र्ेंऔर अपिेछे त्रधिकार र्ेंितर्ामि अिुबंि के तहत र्ान्यता
प्राप्त अधिकारों का सम्माि करेगा और हर एक व्यक्ति के धलए उन्हें
सुधिधित करेगा, धबिा धकसी भेदभाि के िैसेिाधत, रंग, धलंग, भाषा,
िर्म, राििीधतक या अन्य राय, राष्ट्रीय या सार्ाधिक र्ूल,
सम्पधि, िन्म या अन्य क्तथथधत के।“
इसधलए िर्म या धिश्वास के आिार पर भेदभाि प्रधतबंधित है। भेदभाि
पर प्रधतबंि, दबाि पर प्रधतबंि का एक प्रधतधबम्ब है! राज् को ि के िल
अपिेख़ुद के कायों द्वारा भेदभाि करिेसेबचिा चाधहए, बक्ति सर्ाि
र्ेंभेदभाि को प्रभािी ढंग सेरोकिेया धिरार् लगािेके धलए भी कार्
करिा चाधहए।
धफर भी, भेदभाि शायद िर्म या धिश्वास की आज़ादी का आर् तौर
पर सबसे अधिक अिुभि धकया िािे िाला उल्लंघि है, और यह हर
िाधर्मक और धिश्वासी सर्ूह को प्रभाधित करता है।
स्वीडि र्ें, शोिकतामओं िे पाया है धक यहूधदयोंको िौकरी पेश धकये
िािेके अिसर 26% कर् हैं, और र्ुसलर्ािोंके धलए यह अिसर 30%
2
कर् हैं। यह सिाल भी काफी र्हत्वपूणम हैधक क्ा यह भेदभािपूणम
है: अगर र्ाधलकों द्वारा कर्मचाररयों को कार् के थथाि पर िाधर्मक
प्रतीक पहििे से प्रधतबंधित कर धदया िाए, िैसे धक क्रू स या
धहिाब. इस र्ुद्दे को यूरोपीय अदालतों, और यू. एि. की र्ािि्
अधिकार सधर्धत र्ेंअिेक बार लाया गया है।
भेदभाि कई रूप िारण कर सकता है। कभी-कभी तो यह दू सरे िर्ों
की अपेक्षा धकसी एक िर्मके पक्ष र्ेंराज्-पक्षपात का रूप िारण कर
लेता है! उदाहरण के धलए अलग-अलग सर्ूहोंको राज् द्वारा
धििीय सहयता देिे र्ें भेदभाि। कभी-कभी भेदभाि अधिक गंभीर
होता है, िैसेअधिकारोंको िकारिा; उदाहरण के धलए िब कु छ सर्ूहों
को कािूिी पहचाि या आराििा थथल धिर्ामण करिे के अधिकार से
िंधचत धकया िाए । िर्म या धिश्वास के आिार पर राज् द्वारा भेदभाि
के िल िाधर्मक गधतधिधियों को ही प्रभाधित िही ं करता है। यह
धििाह, बाल धहरासत या रोज़गार, आिास, कल्याणकारी सेिाओं या
न्याय पािे के अिसर सधहत िीिि के हर क्षेत्र को प्रभाधित कर
सकता है।
कई देशोंर्ेंव्यक्ति के पहचाि-पत्र पर ही उसके िर्मका उल्लेख धकया
िाता है। हर बार अपिा पहचाि-पत्र धदखािे पर अल्प्सख्यकों
को इससेभेद-भाि का धशकार बििा आसाि हो िाता है.
इंडोिेधशया के कु छ धहस्ों र्ेंधहंदुओं को धििाह या िन्म के पंिीयि के
धलए एक लंबा सफर तय करिा पड्ता है, क्ोंधक थथािीय अधिकारी
उन्हें पंिीकृ त करिेसेइिकार करतेहैं। और ईसाईयों को चचम बिािे
या उसकी र्रम्मत करिे की अिुर्धत धर्लिे की सर्स्या है। राष्ट्रीय
अदालतों िे बार-बार ईसाईयों के पक्ष र्ेंफै सला धकया है, लेधकि
थथािीय अधिकारी इि फै सलों को अिदेखा करते हैं, कभी-
कभी तो धहंसक चरर्पंथी सर्ूहोंके डर के कारण।
पाधकस्ताि र्ें अहर्धदयोंद्वारा प्रचार करिा, प्रसार करिा
या अपिेधिश्वास की सार्ग्री बाट्िा भेदभािपूणमकािूि
3
के तहत एक अपराधिक कार् है; और िोट देिेके अधिकार को भी
उन्होंिेखो धदया है।
के न्या र्ेंर्ािि अधिकार संगठिों का कहिा हैधक देश र्ेंआतंकिाद
के क्तखलाफ लडाई के फलस्वरूप सुरक्षा अधिकाररयों द्वारा
र्ुसलर्ािोंपर धिशािा साििा और सार्ूधहक सज़ा देिा व्याप्त
है; र्िर्ािी धगरफ्ताररयां, यातिा, हत्याएं और गायब होिे की रपटें
धर्लती रही हैं, धिन्हेंसरकार िे अक्तस्वकार धकया है।
म्ांर्ार के बाइस गांिों र्ें, थथािीय बौद्ध धभक्षुओं िे अपिे गांिों को
र्ुक्तिर्-र्ुि क्षेत्रों के रूप र्ेंघोधषत कर धदया है, और उन्होिे सूचिा
स्तम्भ लगा धदए हैंधक र्ुसलर्ािो को गांि र्ेंआिेया िहां रात धबतािे
पर पाबन्दी है। थथािीय धििाधसयों को र्ुसलर्ािोंसेशादी करिेपर रोक
है, और उिके क्तखलाफ िफ़रत फै लािे का प्रोपोगेन्डा धकया िाता
है. अधिकाररयो िेइसे रोकिेके धलए कु छ भी िही धकया है।
अक्सर लोगोंके साथ एक से अधिक कारणों से भेदभाि धकया िाता
है, उदाहरण के धलए िर्म, और िातीयता, धलंग या िगम के आिार पर।
र्ािि अधिकार की भाषा र्ें, इसेअंतरंग-भेदभाि कहा िाता है। इससे
िर्म या धिश्वास की आज़ादी के उल्लंघि के कु छ सर्ूह और भी
अधिक धशकार होते हैं। उदाहरण के धलए
र्धहलाएं, देशि लोग, िातीय अल्पसंख्यक, एल.िी.बी.टी. सर्ुदाय, प्रिा
सी और शरणाथी।
आइए हर् भारत सेअंतरंग भेदभाि का एक उदाहरण देखें।
धहंदूिाधत व्यिथथा एक प्रकार की धिधित िगम प्रणाली है, िो लोगों को
उच्च और धिम्न िाधतयों और दधलतों िैसेिाधतहीि सर्ूहों र्ेंधिभाधित
करती है। दधलत अक्सर गरीबों र्ें भी सबसे गरीब होतेहैं, िो बडे
पैर्ािे पर सार्ाधिक और आधथमक भेदभाि का सार्िा कर रहे हैं।
यद्यधप इसकी िडेंधहन्दुिाद र्ें हैं, लेधकि िाधत व्यिथथा पूरे भारतीय
सर्ाि र्ेंव्याप्त है, और सभी िर्ों के लोगों को धिशेष िाधतयों से
संबंधित र्ािा िाता है। उदाहरण के धलए, कई भारतीय ईसाई और
र्ुसलर्ाि दधलत र्ूल के हैं।
िब भारत आज़ाद हुआ तो सरकार िे िाधत व्यिथथा पर प्रधतबंि
लगा धदया और सकारात्मक कारमिाई की व्यिथथा शुरू करके िाधत
4
भेदभाि का धिरोि करिे की कोधशश
की। इस व्यिथथा के तहत सरकरी िौकररयोंऔर रािकीय उच्चधशक्षण संथथाओंर्ेंदधलतोंके धलए कु छ ख़ास कोटा आरधक्षत है, और
उन्हे कु छ कल्यािकारी लाभ भी धर्लता है। आप सोचतेहोंगेधक यह
अभी तक तो ठीक-ठाक है. हालाधक यह लाभ के िल धहंदूदधलतों, और
दधलत र्ूल के धसख और बौद्ध िर्म के लोगोंको ही धर्ल रहा
है. िो ईसाई या र्ुसलर्ाि दधलत र्ूल के हैं, उन्हे इस अधिकार से
िंधचत रखा िाता है।
ईसाई और र्ुक्तिर् दधलतों को उिकी िाधत और अल्पसंख्यक िर्म
दोिों के कारण सर्ुदाय र्ेंभेदभाि का सार्िा करिा पडता है। उि
के िर्म के आिार पर, राज् भी उिके साथ
भेदभाि करता है। िाधत भेदभाि का र्ुकाबला करिेके धलए सकारात्मक
कारमिाई सेउन्हेंबाहर रखा िा रहा है. ईसाई और र्ुसलर्ाि
दधलतोंके आधथमक और सार्धिक धिकास पर इसका असर पडता
है।
संक्षेप र्ें: राज्ों को िर्म या धिश्वास के आिार पर लोगों के क्तखलाफ
भेदभाि करिेकी अिुर्धत िही ं है। उि का यह भी कतमव्य हैधक
िेलोगो की रक्षा करेंऔर सर्ाि र्ें भेदभाि की रोक-थार् प्रभािी ढंग
सेकरें।
भेदभाि कई रूप ले सकता हैऔर िीिि के हर क्षेत्र को प्रभाधित
कर सकता है। अक्सर, लोगों को अपिे िर्म या धिश्वास सधहत
कई अंतर-धिभागीय कारणों के धलए भेदभाि का सार्िा करिा पडता
है।
भेद-भाि के बारेर्ेंआप अधिक िािकारी हर्ारे िेबसाइट पर प्रधशक्षण
सार्ग्री र्ें देख सकते हैं, धििर्ें िे सभी र्ािि
अधिकार दस्तािेज़ शाधर्ल हैं, धििका धज़क्र यहां धकया गया है
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स्क्रिप्ट: धर्म या विश्वास की आज़ादीकी विषय
सूवि – र्ाता-विता और बच
नागरिक औि िाजनीतिक अतिकाि ों पि अोंििााष्ट्रीय अनुबोंि के
अनुच्छे द 18 में मािा-तपिा औि बच् ों के तिए िमा या तिश्वास की
आज़ादी के सोंबोंि मेंतिशेष अतिकाि प्रदान तकए गए हैं। मािा-तपिा
औि कानूनी अतििािक ों क अपने बच् ों क िातमाक औि नैतिक
तशक्षा देने, औि परििाि के जीिन क अपने तिश्वास ों के अनुसाि
व्यिस्थिि किनेका अतिकाि है।
मानि अतिकाि के िि बातिग ों के तिए ही नहीों हैं! बच् ों क िी िमा
या तिश्वास की आज़ादी का अतिकाि है – उदाहिण के तिए
उनक िातमाक या तिश्वास समुदाय के जीिन का तहस्सा बननेका, औि
िातमाक त्यौहाि ों या आिािना मेंिाग िेनेका अतिकाि है।
बच् ों क अपने मािा-तपिा या अतििािक ों की इच्छानुसाि िातमाक
तशक्षा पाने का अतिकाि िी है। अपने मािा-तपिा की इच्छाओों के
स्ििाफ उन्हेंपाप-अोंगीकृ ि किने िािे िातमाक तनदेश मेंिाग िेने के
तिए मजबूि नहीों तकया जा सकिा है, औि जैसेही बच्ेबडेह िेहैंि
उनकी अपनी इच्छाओों क िगािाि ध्यान मेंििा जाना चातहए।
इन अतिकाि ोंके उल्लोंघन के कई उदाहिण हैं। मध्य एतशया के देश ों
में, स तियि के अिीि की तििासि का एक तहस्सा यह है तक सिकाि
समाज के हि पहिू क तनयोंतिि किना चाहिी है। उदाहिण के
तिए, िातजतकस्तान मेंअोंतिम सोंस्काि क छ ड कि 18 िषा सेकम उम्र
के बच्ेिातमाक आिािना या कायाक्रम में िाग िेने सेकानूनन
प्रतिबोंतिि हैं। औि अन्य मध्य एतशयाई िाज् ों में, स्कू िी-आयु
के बच्ेज मस्िद ों औि ईसाई तगिज ोंमेंजािे हैंया ज ग्रीष्मकािीन
तशतिि ों जैसी गतितितिय ों में तहस्सा िेिे हैं, सिकािें
उनसेपूछिाछ कि उन्हेंिोंग कििी हैं, साि ही उन बच् ोंकी स्कू ि ों में
सािाजतनक तनोंदा की जािी है।
इसतिए कु छ सिकािें बच् ों क िमा का पािन किने से ि किी हैं।
कु छ अन्य सिकािें अल्पसोंख्यक ों के बच् ों क िातमाक तशक्षा मेंिाग
2
िेने के तिए मजबूि कििी हैं, तजसका उद्देश्य उन्हेंबहुसोंख्यक िमा
मेंपरिितिाि किना ह िा है। यह इस िथ्य के बािजूद िी ह िा है तक
िाज् ोंका यह सुतनतिि किने का किाव्य है तक बच् ों क न
केिि सैद्ाोंतिक िौि पि बस्ि व्यािहारिक रूप सेपापअोंगीकृ ि
िािेिातमाक तनदेश सेछू ट तमिे।
िुकी में, कु छ सुिाि ों के बािजूद, िातमाक सोंस्कृ ति औि नैतिकिा
पाठ्यक्रम औि पाठ्यपुस्तक ों में अिी िी पापअोंगीकृ ि किने िािे
िातमाक तनदेश शातमि हैं। यहूदी औि ईसाई छाि ों क सैद्ाोंतिक रूप
सेइस सेछू ट दी गई है, िेतकन व्यिहाि मेंऐसी छू ट का दािा किना
मुस्िि या असोंिि ह सकिा है। औि एिेिी, बहाई, नास्स्तक या
अज्ञेयिाद परििाि ों के बच्े, या िह छाि ज अपनी इच्छा से
ऐसेतिश्वास ोंक मानिेहैं, उन्हेंप्रतशक्षण िेनेके तिए मजबूि तकया जािा
है। इन सिी उदाहिण ों में, मािा-तपिा औि बच् ों, द न ों के अतिकाि ों
का उल्लोंघन तकया जा िहा है।
बाि अतिकाि ों पि सम्मेिन (सी.आि.सी.) क आपनाने से
पहिे, अोंिििाष्ट्रीय मानि अतिकाि कानून मेंिास्ति में बच्े के
अतिकाि ों पि तिशेष रूप सेचचाानहीोंहुई। सम्मेिन नेइसेबदि तदया,
इस पि ज़ ि देिे हुए तक बच्े िास्ति मेंअतिकाि िािक हैं, औि
अनुच्छे द 14 अनुसाि उन्हेस्वम ही िमा या तिश्वास की आज़ादी का
अतिकाि प्राप्त है।
अनुच्छे द 14 मेंबच् ों क स्विोंि औि कमज़ ि द न ोंही रूप में
प्रस्तुि तकया गया है, िमाया तिश्वास की आज़ादी के अतिकाि का प्रय ग
कििेसमय उन्हेमािा-तपिा की सहायिा औि मागादशान की
आिश्यकिा ह िी है, तिशेषकि िाज् के साि सोंबोंि में।
इस सम्मेिन मेंस्पष्ट् है तक बच्े का सिोत्तम तहि ही एक
माि तसद्ाोंि है, तजस सेसिी मामि ोंमेंमागादशान तमिना चातहए। यह
बच् ों के उन अतिकाि पि िी ज़ ि देिा है, तजसके अनुसाि िेउन सिी
मामि ों पि अपनी िाय व्यक्त कि सकें, तजन का प्रिाि उन पि पड्िा
है। तफि िी, अक्सि बडे ि ग ही, तिशेषकि मािा-
तपिा, बच् ोंके सिोत्तम तहि ों के बािेमेंतनष्कषातनकाििेहैं, औि उनके
तिए आिाज़ उठािेहैं।
हािाोंतक, किी-किी बच् ों औि मािा-तपिा के तहि अिग-अिग ह
सकिे हैं। इन मामि ों में, बच् ों के िमा औि तिश्वास की आज़ादी का
अतिकाि मािा-तपिा के अतिकाि ों की िुिना मेंसोंिुतिि ह ना चातहए।
उदाहिण के तिए, तकस उम्र मेंबच्ेक िातमाक प्रिाओोंया तिश्वास के
बािे मेंअपना तनणाय िेनेका अतिकाि है? उदाहिण के तिए, क्या िे
चचा जाना चाहिेहैं?
बच्ेके अतिकाि ों पि सम्मेिन के अनुसाि, िमा या तिश्वास के मामि ों
में मािा-तपिा का मागादशान बच्े की तिकतसि ह िही क्षमिाओों
के अनुसाि अनुकू ि ढोंग सेतदया जाना चातहए। दू सिे शब् ों में, जैसे-
जैसेबच्ा बढिा औि परिपक्व ह िा है, उसेऔि अतिक आज़ादी तमिनी
चातहए।
अोंिििाष्ट्रीय कानूनी मानक अनुसाि 18 साि की उम्र
मेंव्यस्किा प्राप्त ह िी है, िेतकन सिाि ि यह हैतक जैसे-जैसे िह
बचपन के दौि में प्रगति कििे हैं, तकिनी आज़ादी औि मानतसक
परिपक्विा बच् ों के तिए तनिाारिि ह ; िह अतिकिि सोंस्कृ तिय ों औि
सोंदिों पि िी आिारिि है। तितिन्न देश ोंमेंअिग-अिग कानून औि
तनयम हैं। स्वीडन में, उदाहिण के तिए, 12 िषाकी आयुके बच् ों क
उनकी इच्छा के तिपिीि तकसी एक िातमाक समुदाय का सदस्य नहीों
बनाया जा सकिा है।
बच्े के अतिकाि ों पि सम्मेिन एक सािािौतमक मानदोंड िय कििा
है, तक मािा-तपिा बच् ोंका कै सेपािन-प षण कििेहैं- एक िमा या
तिश्वास क मानने के कािण बच्े के शािीरिक या मानतसक स्वास्थ्य
या तिकास क नुकसान नहीोंपहुोंचना चतहए।
मािा-तपिा के िमा या तिश्वास की आज़ादी के अतिकाि बनाम बच्ेके
अतिकाि सेसोंबोंतिि मामिेयदा-कदा ही अदािि मेंआिेहैं।
हािाोंतक, अपनेबच् ों क िक्त सोंक्रमण प्राप्त किनेसे ि कनेके तिए
यह िा तिट्नेस का अतिकाि एक उदाहिण है, जहाों अदािि ों ने िमा
या तिश्वास की आज़ादी के तिए मािा-तपिा के अतिकाि ों
के स्ििाफ़ औि बच्े के जीिन के अतिकाि के पक्ष
मेंफै सिा तदया है। सािाोंश में, इस तफल्म मेंहमनेमािा-तपिा औि बच् ों के अतिकाि ों क
देिा है.
बच् ों क िमा या तिश्वास की आज़ादी का अतिकाि है, औि मािा-तपिा
क अपनेबच् ों क अपनी मान्यिाओों के अनुसाि पािन-प षण किने
का अतिकाि है। यह इस ििीके से तकया जाना चातहए ज बच्े की
बढ़िी हुई परिपक्विा के अनुकू ि ह , िमा या तिश्वास क मानने के
कािण बच्ेके शािीरिक या मानतसक स्वास्थ्य या तिकास क नुकसान
नहीोंपहुोंचना चातहए। उल्लोंघन ों के उदाहिण ों में ऐसे िाज् शातमि
हैं, ज बच् ों क िमा का पािन किने से मना कििे हैं, औि ऐसे िी
िाज् हैंज अल्पसोंख्यक बच् ों पि बहुसोंख्यक िातमाक तनदेश क
मजबूिन ि पिेहैं।
िमा या तिश्वास की आज़ादी के सोंबोंि में मािा-तपिा औि बच् ों के
अतिकाि ों के बािे मेंआप अतिक जानकािी हमािे
िेबसाइट पि प्रतशक्षण सामग्री मेंदेि सकिे हैं, तजनमेंिेसिी मानि
अतिकाि दस्तािेज़ शातमि हैं, तजनका तज़क्र यहाों तकया गया है.
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स्क्रिप्ट: धर्म या विश्वास की आज़ादीकी विषय
सूवि – र्ाता-विता और बच
नागरिक औि िाजनीतिक अतिकाि ों पि अोंििााष्ट्रीय अनुबोंि के
अनुच्छे द 18 में मािा-तपिा औि बच् ों के तिए िमा या तिश्वास की
आज़ादी के सोंबोंि मेंतिशेष अतिकाि प्रदान तकए गए हैं। मािा-तपिा
औि कानूनी अतििािक ों क अपने बच् ों क िातमाक औि नैतिक
तशक्षा देने, औि परििाि के जीिन क अपने तिश्वास ों के अनुसाि
व्यिस्थिि किनेका अतिकाि है।
मानि अतिकाि के िि बातिग ों के तिए ही नहीों हैं! बच् ों क िी िमा
या तिश्वास की आज़ादी का अतिकाि है – उदाहिण के तिए
उनक िातमाक या तिश्वास समुदाय के जीिन का तहस्सा बननेका, औि
िातमाक त्यौहाि ों या आिािना मेंिाग िेनेका अतिकाि है।
बच् ों क अपने मािा-तपिा या अतििािक ों की इच्छानुसाि िातमाक
तशक्षा पाने का अतिकाि िी है। अपने मािा-तपिा की इच्छाओों के
स्ििाफ उन्हेंपाप-अोंगीकृ ि किने िािे िातमाक तनदेश मेंिाग िेने के
तिए मजबूि नहीों तकया जा सकिा है, औि जैसेही बच्ेबडेह िेहैंि
उनकी अपनी इच्छाओों क िगािाि ध्यान मेंििा जाना चातहए।
इन अतिकाि ोंके उल्लोंघन के कई उदाहिण हैं। मध्य एतशया के देश ों
में, स तियि के अिीि की तििासि का एक तहस्सा यह है तक सिकाि
समाज के हि पहिू क तनयोंतिि किना चाहिी है। उदाहिण के
तिए, िातजतकस्तान मेंअोंतिम सोंस्काि क छ ड कि 18 िषा सेकम उम्र
के बच्ेिातमाक आिािना या कायाक्रम में िाग िेने सेकानूनन
प्रतिबोंतिि हैं। औि अन्य मध्य एतशयाई िाज् ों में, स्कू िी-आयु
के बच्ेज मस्िद ों औि ईसाई तगिज ोंमेंजािे हैंया ज ग्रीष्मकािीन
तशतिि ों जैसी गतितितिय ों में तहस्सा िेिे हैं, सिकािें
उनसेपूछिाछ कि उन्हेंिोंग कििी हैं, साि ही उन बच् ोंकी स्कू ि ों में
सािाजतनक तनोंदा की जािी है।
इसतिए कु छ सिकािें बच् ों क िमा का पािन किने से ि किी हैं।
कु छ अन्य सिकािें अल्पसोंख्यक ों के बच् ों क िातमाक तशक्षा मेंिाग
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िेने के तिए मजबूि कििी हैं, तजसका उद्देश्य उन्हेंबहुसोंख्यक िमा
मेंपरिितिाि किना ह िा है। यह इस िथ्य के बािजूद िी ह िा है तक
िाज् ोंका यह सुतनतिि किने का किाव्य है तक बच् ों क न
के िि सैद्ाोंतिक िौि पि बस्ि व्यािहारिक रूप सेपापअोंगीकृ ि
िािेिातमाक तनदेश सेछू ट तमिे।
िुकी में, कु छ सुिाि ों के बािजूद, िातमाक सोंस्कृ ति औि नैतिकिा
पाठ्यक्रम औि पाठ्यपुस्तक ों में अिी िी पापअोंगीकृ ि किने िािे
िातमाक तनदेश शातमि हैं। यहूदी औि ईसाई छाि ों क सैद्ाोंतिक रूप
सेइस सेछू ट दी गई है, िेतकन व्यिहाि मेंऐसी छू ट का दािा किना
मुस्िि या असोंिि ह सकिा है। औि एिेिी, बहाई, नास्स्तक या
अज्ञेयिाद परििाि ों के बच्े, या िह छाि ज अपनी इच्छा से
ऐसेतिश्वास ोंक मानिेहैं, उन्हेंप्रतशक्षण िेनेके तिए मजबूि तकया जािा
है। इन सिी उदाहिण ों में, मािा-तपिा औि बच् ों, द न ों के अतिकाि ों
का उल्लोंघन तकया जा िहा है।
बाि अतिकाि ों पि सम्मेिन (सी.आि.सी.) क आपनाने से
पहिे, अोंिििाष्ट्रीय मानि अतिकाि कानून मेंिास्ति में बच्े के
अतिकाि ों पि तिशेष रूप सेचचाानहीोंहुई। सम्मेिन नेइसेबदि तदया,
इस पि ज़ ि देिे हुए तक बच्े िास्ति मेंअतिकाि िािक हैं, औि
अनुच्छे द 14 अनुसाि उन्हेस्वम ही िमा या तिश्वास की आज़ादी का
अतिकाि प्राप्त है।
अनुच्छे द 14 मेंबच् ों क स्विोंि औि कमज़ ि द न ोंही रूप में
प्रस्तुि तकया गया है, िमाया तिश्वास की आज़ादी के अतिकाि का प्रय ग
कििेसमय उन्हेमािा-तपिा की सहायिा औि मागादशान की
आिश्यकिा ह िी है, तिशेषकि िाज् के साि सोंबोंि में।
इस सम्मेिन मेंस्पष्ट् है तक बच्े का सिोत्तम तहि ही एक
माि तसद्ाोंि है, तजस सेसिी मामि ोंमेंमागादशान तमिना चातहए। यह
बच् ों के उन अतिकाि पि िी ज़ ि देिा है, तजसके अनुसाि िेउन सिी
मामि ों पि अपनी िाय व्यक्त कि सकें, तजन का प्रिाि उन पि पड्िा
है। तफि िी, अक्सि बडे ि ग ही, तिशेषकि मािा-
तपिा, बच् ोंके सिोत्तम तहि ों के बािेमेंतनष्कषातनकाििेहैं, औि उनके
तिए आिाज़ उठािेहैं।
हािाोंतक, किी-किी बच् ों औि मािा-तपिा के तहि अिग-अिग ह
सकिे हैं। इन मामि ों में, बच् ों के िमा औि तिश्वास की आज़ादी का
अतिकाि मािा-तपिा के अतिकाि ों की िुिना मेंसोंिुतिि ह ना चातहए।
उदाहिण के तिए, तकस उम्र मेंबच्ेक िातमाक प्रिाओोंया तिश्वास के
बािे मेंअपना तनणाय िेनेका अतिकाि है? उदाहिण के तिए, क्या िे
चचा जाना चाहिेहैं?
बच्ेके अतिकाि ों पि सम्मेिन के अनुसाि, िमा या तिश्वास के मामि ों
में मािा-तपिा का मागादशान बच्े की तिकतसि ह िही क्षमिाओों
के अनुसाि अनुकू ि ढोंग सेतदया जाना चातहए। दू सिे शब् ों में, जैसे-
जैसेबच्ा बढिा औि परिपक्व ह िा है, उसेऔि अतिक आज़ादी तमिनी
चातहए।
अोंिििाष्ट्रीय कानूनी मानक अनुसाि 18 साि की उम्र
मेंव्यस्किा प्राप्त ह िी है, िेतकन सिाि ि यह हैतक जैसे-जैसे िह
बचपन के दौि में प्रगति कििे हैं, तकिनी आज़ादी औि मानतसक
परिपक्विा बच् ों के तिए तनिाारिि ह ; िह अतिकिि सोंस्कृ तिय ों औि
सोंदिों पि िी आिारिि है। तितिन्न देश ोंमेंअिग-अिग कानून औि
तनयम हैं। स्वीडन में, उदाहिण के तिए, 12 िषाकी आयुके बच् ों क
उनकी इच्छा के तिपिीि तकसी एक िातमाक समुदाय का सदस्य नहीों
बनाया जा सकिा है।
बच्े के अतिकाि ों पि सम्मेिन एक सािािौतमक मानदोंड िय कििा
है, तक मािा-तपिा बच् ोंका कै सेपािन-प षण कििेहैं- एक िमा या
तिश्वास क मानने के कािण बच्े के शािीरिक या मानतसक स्वास्थ्य
या तिकास क नुकसान नहीोंपहुोंचना चतहए।
मािा-तपिा के िमा या तिश्वास की आज़ादी के अतिकाि बनाम बच्ेके
अतिकाि सेसोंबोंतिि मामिेयदा-कदा ही अदािि मेंआिेहैं।
हािाोंतक, अपनेबच् ों क िक्त सोंक्रमण प्राप्त किनेसे ि कनेके तिए
यह िा तिट्नेस का अतिकाि एक उदाहिण है, जहाों अदािि ों ने िमा
या तिश्वास की आज़ादी के तिए मािा-तपिा के अतिकाि ों
के स्ििाफ़ औि बच्े के जीिन के अतिकाि के पक्ष
मेंफै सिा तदया है।
सािाोंश में, इस तफल्म मेंहमनेमािा-तपिा औि बच् ों के अतिकाि ों क
देिा है.
बच् ों क िमा या तिश्वास की आज़ादी का अतिकाि है, औि मािा-तपिा
क अपनेबच् ों क अपनी मान्यिाओों के अनुसाि पािन-प षण किने
का अतिकाि है। यह इस ििीके से तकया जाना चातहए ज बच्े की
बढ़िी हुई परिपक्विा के अनुकू ि ह , िमा या तिश्वास क मानने के
कािण बच्ेके शािीरिक या मानतसक स्वास्थ्य या तिकास क नुकसान
नहीोंपहुोंचना चातहए। उल्लोंघन ों के उदाहिण ों में ऐसे िाज् शातमि
हैं, ज बच् ों क िमा का पािन किने से मना कििे हैं, औि ऐसे िी
िाज् हैंज अल्पसोंख्यक बच् ों पि बहुसोंख्यक िातमाक तनदेश क
मजबूिन ि पिेहैं।
िमा या तिश्वास की आज़ादी के सोंबोंि में मािा-तपिा औि बच् ों के
अतिकाि ों के बािे मेंआप अतिक जानकािी हमािे
िेबसाइट पि प्रतशक्षण सामग्री मेंदेि सकिे हैं, तजनमेंिेसिी मानि
अतिकाि दस्तािेज़ शातमि हैं, तजनका तज़क्र यहाों तकया गया है.
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स्क्रिप्ट: धर्म या विश्वास की आज़ादी के विए सीर्ाएं
समाचार देखनेऔर शायद अपनेजीवन के अनुभव सेआपको
पता चल जाएगा कक कई सरकारेंधममया कवश्वास की आज़ादी पर सीमाएं
लगाती हैं। वेतकम देती हैं
कक धाकममक अकभव्यक्ति को सीकमत करनेकी आवश्यकता के अनेक कार
ण हैं। तो हम कै सेजानेंकक सीमाएं कब उकचत और आज्ञा पाने
योग्य हैं, और कब नही ं?
अंतरामष्ट्रीय मानव अकधकार कानून के अनुसार धममया कवश्वास को मानने,
चुनने, बदलने, या छोड्ने का अकधकार असीम है – यह कभी सीकमत
नही ं हो सकता है। वही ंदू सरी ओर, एक धमम या कवश्वास को प्रकट
करने का अकधकार प्रकतबंकधत हो सकता है, लेककन के वल तभी जब
चार कनयमों का पालन ककया जाता है।
1. कोई भी सीमा कानून के द्वारा ही होनी चाकहए। इसके पीछे की
मंशा यह है कक राज्य को, पुकलस को,
और अदालतोंको अप्रत्याकशत रूप सेया असंगत कायम
करनेसेरोकना है।
2. सावमजकनक सुरक्षा, सावमजकनक व्यवस्था, स्वास्थ या नैकतकता, या दू सरों
के अकधकारों और आज़ाकदयोंकी रक्षा के कलए सीमा होना जरूरी है।
यह महत्वपूणम है। दू सरेलोगो की रक्षा के कलए सीमा कनधामररत करना
या वोट जीतने के कलए सीमा कनधामररत करने, दोनो मेंबहुत
अंतर है।
3. सीमाएं भेदभाव वाली नही ं होनी चाकहए,
4. और अकभव्यक्ति के कारण पैदा हुई समस्या के अनुपात मेंही कोई
सीमा को होना चाकहए।
येकनयम वास्तव मेंमहत्वपूणम हैं। उनके कबना, सरकारेंककसी एक
या सभी समूह या प्रथा को सीकमत कर सकती हैं, कजसेवह
पसंद नही ंकरती। सीमाएं अंकतम उपाय होनी चाकहए, न कक राज्य
कनयंत्रण के कलए एक औज़ार।
2
आइये, कनयमों का क्या अथम है, यह स्पष्ट् करनेके कलए
एक मनगढ़ंत उदाहरण का हम उपयोग करें ।
एक ऐसे शहर की कल्पना करेंजहां पांच अलग-अलग धाकममक समूह
हैं। उन सभी के पास आराधना स्थल हैं, और वे सभी कु छ हद्द तक
शोर करते हैं, पडोसी कजसकी सराहना नही ं करते! लेककन पुकलस को
के वल एक छोटे, अलोककप्रय समूह के बारे मेंही कशकायतेंकमलती हैं
…
स्वास्थ और सावमजकनक स्वास्थ के कलए उच्च स्तर का शोर हाकनकारक
हैं, और सीमाओं के कलए एक वैध आधार भी। इसकलये स्थानीय सत्ता
मेंअकधकाररयोंको क्या करना चाकहए? ककस प्रकार के कनयम आवश्यक
हैं, गैर-भेदभावपूणम और जो सावमजकनक स्वास्थ की रक्षा के कलए
अनुपाकतक हैं?
इस मामले में, एक ऐसा कानून कजस के द्वारा सभी सभाओं के कलए
एक सामान्य शोर की मात्रा कनधामररत करना उकचत होगा। एक कानून
जो सभी धाकममक समूहों और दू सरों के कलए समान रूप से लागू
होता हो। यकद ककसी समूह का शोर कनधामररत मात्रा से अकधक है, तो
उसे कम करनेया ठीक मात्रा मेंरखने को कहना उकचत होगा, नही
तो जुमामना लगाना। पूणम रूप से शोर बंद करने की मांग करना या
उनकी सभा आयोकजत करने पर ही प्रकतबंध लगाना अनुपाकतक नही
होगा।
और पुकलस को कानून को समान रूप से लागूकरना होगा, भले ही
उन्हेंके वल अलोककप्रय समूहों के बारे मेंही कशकायतेंकमलें।
यह एक छोटा, मामूली सी उदाहरण है।
जब हम धमम या कवश्वास की आज़ादी के प्रमुख उल्लंघनोंपर नज़र
डालतेहैं, तो आमतौर पर यह आसानी सेकदखता है कक इन कनयमों
को अनदेखा ककया जा रहा है, क्योंकक प्रकतबंध स्पष्ट् रूप
सेइतनेअनावश्यक, भेदभावपूणम या असमान हैं।
कु छ देश पंजीकृ त इमारतोंके बाहर होनेवाली सभी धाकममक गकतकवकधयों
पर प्रकतबंध लगातेहैं। इससे, अपनेघर मेंरात का खाना खानेसेपहले, मे
हमानोंके साथ धन्यवाद की प्राथमना करना अवैध हो जाता है! यह सीमा स्प
ष्ट् रूप सेवैध नही ंहै!
3
लेककन बहुत सारे कववादास्पद मामलेहैं। क्या फ्ांस के एक शहर के
महापौर के कलए बुककम कनस पर प्रकतबंध लगाना ठीक है – तैराकी
पोशाक जो चेहरे और पैरों के अलावा पूरेशरीर को ढ्क देती है? या
भारत के कु छ कहस्ों मेंअकधकाररयों द्वारा दू सरों को अपने कवश्वास
के बारे मेंबतानेके अकधकार को सीकमत करना?
इस प्रस्तुकत मेंहम सात प्रश्ों को देखनेजा रहेहैं, कजन्हेअदालतों को
यह कनधामररत करने के कलए पूछना चाकहए कक क्या सीमाएं वैध हैं।
उम्मीद हैकक यह आपको उन सीमाओं का मूल्ांकन करनेमेंसहायता
करेगा कजसका आप सामना करते हैं।
जब कोई राज्य प्रविबंध िगािा है, िो पूछनेिािा पहिा प्रश्न यह
है वक क्या सीर्ा धर्म या विश्वास को र्ानने या इसे अपनाने
के असीर् अवधकार र्ेंहस्तक्षेप करिी है। या धर्मको प्रकट करने
के अवधकार र्ेंहस्तक्षेप करिी है।
यकद असीम अकधकार को सीकमत ककया गया है, तो राज्य के कायम वैध
नही ं हैं। लेककन अगर धमम को प्रकट करनेका अकधकार सीकमत है, तो
हम अपने अगलेप्रश् पर आगेबढ़तेहैं।
क्या व्यिहार, धर्म या विश्वास के प्रकटीकरण पर सीवर्ि है, या
वसर्म एक व्यिहार है?
जो काम हम करते हैंवे अक्सर हमारे कवश्वासों द्वारा कनदेकशत होतेहैं।
लेककन हम जो कु छ भी करते हैं वह सभी धमम या कवश्वास
की एक संरकक्षत अकभव्यक्ति नही ं है। जब कोई कशकायत करता हैकक
धमम को प्रकट करनेके उनके अकधकार को सीकमत कर कदया
गया है, तो अदालत पहले यह फै सला करने को सोचती है कक क्या
संबंकधत व्यवहार धाकममक या कवश्वास की अकभव्यक्ति है। वे व्यवहार
और कवश्वास के बीच संबंध को देखकर ऐसा करतेहैंकक क्या उनके
बीच कोई अटू ट सम्बन्ध है कक नही ं.
कभी-कभी यह बहुत आसान है. चचम जाना ईसाईयत सेघकनष्ट् तौर
पर जुडा हुआ है, और रोज़ा रखना इस्लाम धमम से.
लेककन यह हमेशा इतना आसान नही ं है. एक ईसाई के कलए क्रू स
पहनना इतना महत्वपूणम नही ं; लेककन दू सरेके कलए, वह धाकममक
4
पहचान की एक गहरी अकभव्यक्ति है. और मुसलमान मकहलाओं में
कसर ढंकनेके बारे मेंअलग-अलग मान्यताएं हैं.
कौन से कवश्वास सही हैं, इसका फै सला करने का काम अदालत का
नही है। धाकममक प्रकटीकरण क्या है, इसका फै सला करते
समय अदालतें उन धाकममक कसद्ांतों पर कनणमय लेने का जोक्तखम
उठाती हैंजो कु छ धाकममक व्याख्याओ को दू सरी व्याख्याओं से अकधक
प्राथकमकता देते हैं। व्यक्तियोंके कलए मानव अकधकारों
को आयोकजत ककया गया है, इसकलए सम्बंकधत व्यक्ति के कवश्वास
को अदालतें कवस्तार से देखती हैं न कक संस्थागत कसद्ांतों
को; और तकम यह है कक अगर वह व्यक्ति ककसी कायम को धाकममक
अकभव्यक्ति मानता है, तो उस के कलए वह कायम वैसा ही है।
एक बार जब हर्ने यह स्थावपि कर वदया वक
एक संरवक्षि अविव्यस्क्रि सीवर्ि है, िो हर्े यह जांचना होगा वक
क्या यह सीर्ा कानून र्ेंदर्ामयी गई है।
क्या कोई ऐसा कलक्तखत कानून, नज़ीरी कानून या परंपरागत कानून है
जो सीमा को कनयंकत्रत करता है? या क्या यह कबना ककसी कानूनी
आधार के अकधकाररयों द्वारा थोपा जा रहा है? यकद कोई कानूनी आधार
नही ं है, तो सीमा वैध नही ं है।
अगिा कदर् यह जांच िेना की क्या िैध आधार की रक्षा के
विए सीर्ा आिश्यक है। इसका उत्तर देनेके कलए, हमेंसबसेपहले
यह जांचने की आवश्यकता है कक सीकमत प्रथाओं और वैध आधारों
के बीच क्या कोई सीधा सम्बंध है, और दू सरी बात जांच कर लेंकक क्या
सीमा आवश्यक है? आइए, इन सवालों मेंसेप्रत्येक को बारी-बारी से
परखें।
अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, धमम या कवश्वास की आज़ादी को सीकमत
करने के कलए एकमात्र वैध आधार सावमजकनक
सुरक्षा, सावमजकनक व्यवस्था, स्वास्थ या नैकतकता या दू सरों के अकधकार
और आज़ादी की सुरक्षा है।
तो व्यवहार सीकमत होने से कै से इन आधारों के कलए खतरा है? और
क्या इसका कोई सबूत है?
वह प्रथाएं कजन को सीकमत ककया गया हो और इनमेंसेवैध आधारों में
सेएक के बीच का एक सीधा सम्बंध राज्य को प्रदकशमत करना होगा।
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कहंदू जाकत व्यवस्था लोगों को उच्च और कनम्न जाकतयों और जाकतहीन
समूहों मेंकवभाकजत करती है। जाकतहीन समूह बडेपैमानेपर भेदभाव
और सामाकजक और आकथमक नुकसान का सामना करते हैं। कु छ
मंकदरों मेंजाकतहीन कहंदुओं को प्रवेश करने से रोक कदया जाता था।
भारत नेसन 1949 मेंजाकत व्यवस्था को समाप्त कर कदया, और मंकदरों
मेंअब जाकतहीन कहंदुओं को प्रवेश से इंकार करने की इज़ाजत नही ं
है। यह सीमा परीक्षा की कसौटी पर खरी उतरती है – जाकत
भेदभाव पर रोक-थाम लगाने और दू सरों के अकधकारों
और आज़ाकदयों की रक्षा के बीच एक स्पष्ट्, सीधा सम्बंध है।
लेककन सभी सीमाओंमेंइतना स्पष्ट् सम्बंध नही ं है, और कभी-कभी
सरकार वैध आधारों का गलत मायनेलगाती हैया दुरुपयोग करती है।
धममया कवश्वास की आज़ादी की सीमाएं अक्सर सावमजकनक व्ययवस्था से
संबंकधत होती हैं। सावमजकनक व्ययवस्था के कानून, खतरों, हमले, कहंसा
के कलए उत्तेजना और कभी-कभी ईश्वर-कनंदा सकहत कई मुद्दोंको
कनयंकत्रत करतेहैं।
धमम या कवश्वास को प्रकट करने की आज़ादी मेंयह कहने का
अकधकार ज़रूर शाकमल है, कजसेआप सच मानते हैं। स्पष्ट् रूप से
कवश्वासों को शांकतपूवमक या कहंसा को उत्तेकजत करनेवालेढंग सेव्यि
ककया जा सकता है। अफसोस की बात तो यह हैकक कु छ लोग अपने
कवश्वास के अलावा दू सरों के कवश्वासों की शांकतपूणम अकभव्यक्ति से
इतनेनाराज़ हो जातेहैंकक वेकहंसा के साथ जवाब देतेहैं।
कु छ राज्य तो ख़ास मान्यताओं की शांकतपूणम अकभव्यक्ति पर प्रकतबंध
लगाते हैं, यह तकम देतेहुए कक सावमजकनक कहंसा के खतरे के
कारण ऐसा करने के कलए उनके पास वैध सावमजकनक व्यवस्था के
प्रयाप्त आधार हैं। इंडोनेकशया इस आधार पर अहमदी या नाक्तस्तक
मान्यताओं की सावमजकनक अकभव्यक्ति पर प्रकतबंध लगाता है। इसके
फलस्वरूप, कहंसा के पीकडतों पर ईश्वर-कनंदा या उत्तेजना जैसे आरोप
लगायेजातेहैं, न कक दोषी व्यक्तियोंपर हमलेका दोष।
इस तरह के कानून कहंसा को कम नही ं करते हैं। इसके बजाए, वे
इस कवचार को मज़बूत करते हैं कक कजन लोगों के
पास ’गलत’ मान्यताएं हैंउन्हेंदंकडत ककया जाना चाकहए।
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लागूकरने के कलए सािमजवनक नैविकिा एक अन्य मुक्तिल आधार है।
क्या हर ककसी के पास एक जैसी ही नैकतकता
है, और ककसकी नैकतकता ’सावमजकनक’ है? संयुि राष्ट्र मानव अकधकार
कवशेषज्ञों का कहना है कक सावमजकनक नैकतकता की पररभाषा ”कई
सामाकजक, दाशमकनक और धाकममक परंपराओं” सेकनकलनी चाकहए। दू सरे
शब्ों में, आप अके लेबहुमत की नैकतकता पर सीमाओ का आधार नही ं
बना सकतेहैं।
यह जानकार आप आश्चयमचककत हो सकते हैंकक धमम या कवश्वास
की आज़ादी को सीकमत करने के कलए राष्ट्रीय सुरक्षा एक वैध आधार
नही ं है।
कु छ सरकारें समूहों को दानव के रूप में दशामती हैं, ख़ासकर ऐसे
समूह जो ककसी दुश्मन देश के धमम को मानतेहों, उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा
के कलए खतरा बताते हुए। सम्मेलन के लेखकों ने इस बात पर
सहमकत व्यि की कक सावमजकनक स्वास्थ, सुरक्षा और
व्यवस्था, सीमा तय करनेके कलए पयामप्त गुंजाइश देती है, और राष्ट्रीय
सुरक्षा को इसके साथ जोडनेसेधमम या कवश्वास की आज़ादी को अयोग्य
बनानेका खतरा मोल लेती हैं, जबकक यह अकत आवशयक है।
इसकलए हमनेयह साकबत कर कदया हैकक राज्य को एक सीधा
सबंध प्रदकशमत करना ही है, यह दशामकर कक कजन प्रथाओं
को सीकमत ककया गया है वह कै सेवैध आधार के कलए खतरा पैदा
करती हैं। हमनेयह भी देखा हैकक यह जांचना महत्वपूणम हैकक वैध
आधारों की सही व्याख्या और उसेसही तरीके सेलागूककया जा रहा
हैकक नही ं।
आइये हर् अपनेप्रश्न के दूसरे िाग पर चििेहैं – क्या सीर्ा
आिश्यक है? एक राजनीकतक या बहुमत द्रुकष्ट्कोण से वांछनीय नही ं
है, लेककन आवश्यक है।
आइये हर् अपनेप्रश्न के दूसरे िाग पर चििेहैं – क्या सीर्ा
आिश्यक है? एक राजनीकतक या बहुमत द्रुकष्ट्कोण से वांछनीय नही ं
है, लेककन ज़रूरी तो है।
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मान लीकजए कक सरकार नेदशामया हैकक उनके द्वारा प्रस्ताकवत सीमा
और दू सरों के अकधकारों और आज़ाकदयोंकी सुरक्षा के बीच एक सीधा
संबंध है।
क्या खतरा इतना गम्भीर है कजससे सीमा कनधामररत करने की प्रेरणा
कमलती है?
क्या प्रस्ताकवत सीमा अन्य लोगों के अकधकारों की सुरक्षा करनेमें
प्रभावी होगी?
और अकधकारों को सीकमत ककए कबना क्या समस्या को हल करने के
अन्य तौर-तरीके हैं?
यकद समस्या इतनी गंभीर नही ं है, यकद प्रस्ताकवत सीमा इसे हल करने
मेंयोगदान नही ं देगी या यकद अकधकारों को सीकमत ककए कबना इसे
हल करनेके अन्य तरीके हैं, तो सीमा आवश्यक नही ं है।
चीन की सरकार नेभीड-भाड वालेबौद् प्रकशक्षण कें द्रों के बारे में
स्वास्थ और सुरक्षा की कचंता जताने का दावा ककया। स्वास्थ और सुरक्षा
वैध आधार हैं। एक समाधान यह हो सकता हैकक कें द्रोंका
पुनकनममामण और कवस्तार करें। इस समाधान से अकधकार सीकमत
नही ंहोंगे। इसके बजाए, सरकार नेपूरे क्षेत्रों को ध्वस्त कर कदया और
1000 मठवाकसकनयों को वहां सेजबरन हटा कदया। यह ज़रूरी नही ं था।
बेशक, कु छ सीमाएं जरूरी हैं। संयुि राष्ट्र ने स्पष्ट् रूप से कहा है
कक हाकनकारक पारंपररक प्रथाओं को प्रकतबंकधत ककया जाना
चाकहए, जैसेकक कु छ दीक्षा अनुष्ठान और मादा जननांग कवकृ कत ।
बेशक, कई मामले इतने स्पष्ट् नही ं हैं। लेककन सीमा ज़रूरी
है, यह साकबत करने का बोझ बेशक राज्य के ऊपर होता है।
एक बार जब हर्ने स्थावपि कर वदया वक राज्य के पास िैध
आधार हैं और सीर्ा ज़रूरी है, िो हर्ें यह जांचना होगा
वक क्या सीर्ा िेदिािपूणम है।
आपको लगता होगा कक यह देखना आसान है कक क्या कानून, नीकतयां
या प्रथाएं भेदभावपूणम हैं। और क्या वे स्पष्ट् रूप से कु छ लोगों पर
लागू होती हैं, और दू सरोंपर नही ं। इसे प्रत्यक्ष भेदभाव कहा जाता
है, और यह प्रकतबंकधत है।
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लेककन कभी-कभी कानून जो हर ककसी के कलए एक समान लागूहोते
हैं, उसका कु छ लोगों पर अकधक प्रभाव पडता है, और दू सरों पर कोई
प्रभाव नही ं पडता। इसे अप्रत्यक्ष भेदभाव कहा जाता है।
आइए हम अपनेकाल्पकनक शहर और शोर भरे आराधना स्थलोंपर
लौटें। पररषद ने सावमजकनक कायमक्रमोंमेंध्वकन की मात्रा को सीकमत
करनेवाला कानून लागूककया है, और धाकममक समुदायों नेअपनेध्वकनकवस्तारक यंत्रों को उसी प्रकार सेकनयकमत कर कलया है। लेककन चचम
की घंटी की आवाज़ बहुत उंची हैं, और आप उसकी ध्वकन को कम नही ं
कर सकते हैं। चचम को पारंपररक प्रथा को छोडना होगा, जबकक अन्य
समुदायों को कोई समस्या नही ं है।
यह अप्रत्यक्ष भेदभाव है।
सामान्य कानूनोंके अनेक उदाहरण हैंकजनके फलस्वरूप अप्रत्यक्ष
भेदभाव होता है:
कई देश सावमजकनक स्थानों पर चाकू ले जाने पर प्रकतबंध लगाते हैं।
कसखोंको छोडकर इसका बाकी धाकममक और कवश्वास समूहों पर कोई
प्रभाव नही ं पडता है। कसख पुरुषों को अपनी कमीज़ के नीचे
एक संस्कारी चाकू, कजसेककरपान कहते हैं, पहनना पड्ता है। इसकलए
कसख पुरुषों को अपनेधाकममक दाकयत्वों को पूरा करनेकी क्षमता को
कानून सीकमत करता है।
कु छ देशोंमेंकनयोजन कवकनयम के अंतगमत नई ईमारतों
की कनमामण योजना के कलए बाजू-वाली ईमारतोंके माकलको की अनुमकत
लेना अकनवायम है। लेककन पडोसी पक्षपात कर सकतेहैं, इसकलए
पारंपररक समूहों को छोटे, गैर-पारंपररक समूहों की तुलना मेंयोजना
की अनुमकत प्राप्त करना आसान लगता है।
नीकतयां और प्रथाएं भी समस्याएं पैदा कर सकती हैं। यकद एक
कवश्वकवद्यालय हमेशा शकनवार को प्रवेश परीक्षा आयोकजत करता
है, तो एड्वेंकटस्ट और आज्ञाकारी यहूदी इस से वंकचत होते हैं। अक्सर
अल्पसंख्यक धाकममक समूहों के श्रकमकों को अपने स्वयं के धाकममक
त्यौहारों के संबंध मेंअपनी छु ट्टी लेनेकी इज़ाजत देनेकी बजाय उन्हे
बहुसंख्यक धाकममक त्यौहारों के संबंध मेंछु ट्टी लेनी पडती है।
प्रत्यक्ष भेदभाव हमेशा प्रकतबंकधत है। लेककन अदालतों को अप्रत्यक्ष
भेदभाव को एक व्यवहाररक समस्या मानकर, जहां कही ंसम्भव
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हो, उसका समाधान उकचत रूप से करना चाकहए। और अक्सर सरल
समाधान कमल सकते हैं। हमारे काल्पकनक शहर में, रकववार और
धाकममक त्योहारों पर चचम की घंटी बजानेकी इज़ाजत अपवाद के रूप
मेंपररषद दे सकती है।
स्वीडन में, कवश्वकवद्यालय की प्रवेश परीक्षा के वल शकनवार
को ही आयोकजत की जाती थी। लेककन वे अब शुक्रवार को भी
आयोकजत की जाती हैं। और कायमस्थलों मेंवदी को अनुकू कलत करने
के कलए उस मेंअक्सर उकचत पररवतमन ककये जा
सकतेहैं, जैसेकक पगडी पहनना।
लेककन अदालतेंमानती हैं कक यह हमेशा संभव नही ं है। अप्रत्यक्ष
भेदभाव वैध हो सकता है, अगर यह साकबत ककया जा सके कक उसके
कलए अच्छा पयामप्त कारण है – इसके कलए एक कनष्पक्ष वजह।
उदाहरण के कलए, अस्पताल संक्रमण कनयंत्रण नीकतयां जो
कममचाररयोंद्वारा गहनेपहननेपर प्रकतबंध लगाती हैंउस सेकु छ समूहों
को हाकन होती है। यह सावमजकनक स्वास्थ के आधार पर उकचत है।
सावमजकनक स्वास्थ कनकश्चत रूप से धमम या कवश्वास की आज़ादी को
सीकमत करने के कलए एक वैध आधार है। लेककन अप्रत्यक्ष भेदभाव
के संबंध में, अदालतेंअन्य आधार भी स्वीकार करती हैं। उदाहरण
के कलए, एक कं पनी यह तकम दे सकती है कक उनकी नीकतयों को
बदलने से कं पनी के कहतों को हानी पहुंचेगी। एक कपडे की
दुकान का माकलक जो चहता है की कवक्रे ता उसके उत्पाद से
बने कपडे पहनें, उसेऐसेकवक्रे ता को कनयोकजत करनेकी आवश्यकता
नही ं होगी जो धाकममक आधार पर कं पनी के उत्पाद ककये कपडोंको
पहननेसेइनकार करता है।
इसकलए जब की प्रत्यक्ष भेदभाव पर प्रकतबंध लगा कदया गया है, लेककन
अप्रत्यक्ष भेदभाव को जहां तक हो सकता है, उकचत तरीकों को
ढू ंढकर व्यक्तियों और समूहों की आवश्यकताओं
को मान्यता देकर, टालना चकहए ।
एक बार जब हर्ने यह स्थावपि कर विया है वक सीर्ा
िेदिािपूणम नही ं है, िो हर्ेंयह िय करने की आिश्यकिा है
वक क्या यह अनुपाविक है।
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अकभव्यक्ति को ककस हद्द तक सीकमत ककया जाना चाकहए? क्या
प्रकतबंकधत ककया जाना चाकहए, ककसके कलए, कब और कहााँ?
कवशेष प्रकार के कायमस्थलों मेंकवशेष व्यवसायों के कलए कवशेष प्रकार
के धाकममक कपडों पर प्रकतबंध लगानेऔर सडक पर धाकममक कपडे
पहननेसेहर ककसी पर प्रकतबंध लगानेके बीच बहुत बडा अंतर है!
तो अंतरराष्ट्रीय अदालतेंअनुपाकतकता को देखती हैं। संयुि राज्य
अमेररका मेंन्यायालय भी एक कठोर पररक्षण लागूकरतेहैं- सीमाओं
को कम-से-कम प्रकतबंकधत तरीके सेलागूककया जाना चाकहए।
एक अंविर् पहिू वजसे कु छ अदाििें ध्यान र्ें रखिी
हैं, िह हैसराहना की गुंजाईर् । दुकनया कवकवध है, और मानव अकधकार
कसद्ांतों को राष्ट्रीय संदभमपर आधाररत कई अलग-अलग तरीकों
सेलागूककया जा सकता है।
इस वजह से कु छ अंतरराष्ट्रीय अदालतें स्थानीय संदभममें
‘सराहना का कसधदांत’ लागू करती हैं, बुकनयादी तौर
पर कजसका मतलब है कक राष्ट्रीय अकधकारी, राष्ट्रीय संदभम
को बेहतर समझते हैं, और राष्ट्रीय कानून बनाने के कलए उनसे
बेहतर समझ कोई नही ं रखता, इसकलए अंतरामष्ट्रीय अदालतेंउनके
फै सलों पर कनभमर करती हैं।
राज्य के कववेकाकधकार के कलए सराहना की मात्रा ककतनी
होनी चाकहए, और क्या अदालतें बहुत व्यापक मात्र में छू ट देती
हैं, यह बहस का एक महत्वपूणम कवषय है!
सारांर् र्ें:
येसोचतेहुए कक क्या सीमा अनुमती योग्य है, हम कनम्नकलक्तखत प्रकक्रया
का उपयोग करतेहैं
i) कनणमय लीकजयेकक क्या कानून आपके धमम या कवश्वासों या
अकभव्यक्ति को माननेया बदलनेके असीम अकधकार को सीकमत
करता है।
ii) कनधामररत करें कक क्या व्यवहार कजसे सीकमत ककया गया
है, वह सुरकक्षत अकभव्यक्ति है।
iii) जांच करेंकक क्या सीमा का कोई कानूनी आधार है
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iv) कनधामररत करें कक ककस हद्द तक अकभव्यक्ति सीमा
लगानेके कानूनी आधार के कलए खतरा पैदा करती है, जैसेकक
दू सरों के अकधकारों और आज़ाकदयों पर।
v) जांचेंकक क्या सीमा सीधे-सीधेया अप्रत्यक्ष रूप से भेदभावपूणम
है।
vi) और कवचार करें कक सीमा, पैदा ककये गए खतरे
के अनुपात मेंहै, और इसका सामना करनेमेंप्रभवशाली होगी।
जब हम उन तकों को समझतेहैंकजन्हेंअदालतों द्वारा मानव
अकधकारोंका अनुपालन करनेके कलए उपयोग करना चाकहए, तो
हम और अकधक प्रभावी ढंग से अपने अकधकारोंपर दावा कर
सकतेहैं। हम इस बारे मेंसावमजकनक बहस मेंभी पूरी तरह से
योगदान दे सकतेहैंकक अदालतेंऔर सरकार इसेसही तरीके
सेलागूकर रही हैंया कफर वेवास्तव मेंधमम या कवश्वास की
आज़ादी का उल्लंघन कर रही हैं।
Copyright SMC 2018
End of Transcript
8. धर्म या विश्वास की आज़ादी के लिए सीमाएं
कई सरकारें धर्म या विश्वास की आज़ादी को सीमित करती हैं, लेकिन हम कैसे जाने कि सीमाएं उचित और अनुमत कब होती हैं, और कब नहीं होती हैं? धर्म या विश्वास की आज़ादी को लागू करते समय कानूननिर्माताओं और अदालतों को मानव अधिकार सम्मेलनों में दिए गए नियमों पर गहराई से दृष्टि डाल करउन्हें लागू करना चाहिए.